जम्मू कश्मीर में बृहस्पतिवार को हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे। जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने पुलवामा में विस्फोटकों से भरे एक वाहन को सुरक्षाबलों की बस से टकरा दिया था। वही अब खबर आई है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में भारतीय सेना के 4 जवान शहीद हो गए। शहीद होने वालों में भारतीय सेना का मेजर भी शामिल है। एक नागरिक के भी मरने की खबर है। वहीं जैश-ए-मोहम्मद के 2 आतंकियों को ढेर कर दिया गया है। अभी भी 2 आतंकियों के फंसे होने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक, इस मुठभेड़ में पुलवामा अटैक का मास्टरमाइंड और जैश ए मोहम्मद का कमांडर कामरान उर्फ गाज़ी और एक स्थानीय आतंकी हिलाल अहमद ढेर हो गया है। हालांकि इस खबर की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जैश का टॉप कमांडर ग़ाज़ी IED एक्सपर्ट बताया जाता है। जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अपने भतीजे के जरिए घाटी में आतंकी हरकतों को अंजाम देता था, लेकिन पिछले साल ऑपरेशन ऑलआउट के दौरान सुरक्षाबलों ने उसे मार गिराया था। जिसके बाद से ही मसूद अजहर ने कश्मीर की जिम्मेदारी ग़ाज़ी को दी थी।
वही TIMES NOW की खबर के अनुसार सोमवार को बम डेटा सेंटर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों की बस का विस्फोटक से भरी एसयूवी की चपेट में आने के कारण नहीं हुआ था, बल्कि विस्फोट करने के लिए विस्फोटकों की भारी मात्रा में एक स्विच-ट्रिगर आईईडी था।
रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोटक की मात्रा 75-135 किलोग्राम के बीच मानी जा रही है और यह सभी आरडीएक्स नहीं है, लेकिन आग लगाने वाले विस्फोटक और आरडीएक्स के साथ मिश्रित अमोनियम नाइट्रेट आधार विन्यास है। माना जाता है कि हमले के पीछे एक बड़ी साजिश है। माना जाता है कि समय-समय पर विस्फोटकों को इकट्ठा किया गया, जो कि खुफिया विफलता को दर्शाता है। जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच साल में देशी बम और अन्य बम विस्फोट लगातर बढ़े हैं और 2018 में ऐसी घटनाएं 57 फीसदी बढ़ी हैं जबकि वाम चरमपंथ के क्षेत्रों और उग्रवाद प्रभावित पूर्वोत्तर में ऐसी घटनाएं घटी हैं। एक नवीनतम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। पाकिस्तान और चीन की सीमा से सटे इस राज्य में 2014 में 37 बम (देशी बम एवं अन्य बम) धमाके, 2015 में 46 ऐसे बम धमाके, 2016 में 69 ऐसे बम धमाके, 2017 में 70 ऐसे बम धमाके और 2018 में 117 ऐसे बम धमाके हुए। एनएसजी के नेशनल बम डेटा सेंटर (एनबीडीसी) ने ये रिपोर्ट पेश की है।