पूजा खेडकर की विवाद पर पहली प्रतिक्रिया: 'दोषी साबित होने तक निर्दोष'

मुम्बई। प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर, जो सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए अपनी विकलांगता के बारे में कथित तौर पर झूठ बोलने के कारण जांच के घेरे में हैं, ने कहा कि वह समिति के समक्ष अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को उठाएंगी।

इसे मीडिया ट्रायल कहते हुए उन्होंने कहा, यह एक मीडिया ट्रायल है और लोग इसे देख रहे हैं। सच्चाई अंततः सामने आ ही जाएगी। भारतीय संविधान के अनुसार, किसी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि उस पर लगे आरोप सिद्ध न हो जाएं।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, मैं समिति के समक्ष वह सब कुछ कहूंगी जो मुझे कहना होगा, और समिति जो भी निर्णय लेगी, मैं उसे स्वीकार करूंगी।

विवादों से घिरी ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेड़कर को लेकर एक नया मामला सामने आया है, जिसमें पता लगा है कि एमबीबीएस में एडमिशन लेते समय उनके मेडिकल सर्टिफिकेट में उनके शारीरिक विकलांगताओं को लेकर कोई जिक्र नहीं। साथ ही उन्होंने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का इस्तेमाल करके एमबीबीएस में एडमिशन लिया था।

ओबीसी खानाबदोश जनजाति-3 श्रेणी के तहत एडमिशन

काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस, एमडी (माइक्रोबायोलॉजी) डॉ. अरविंद वी. भोरे ने बताया कि IAS अधिकारी डॉ. पूजा खेड़कर ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए ओबीसी सर्टिफिकेट जमा किया था। इसमें उन्होंने ओबीसी खानाबदोश जनजाति-3 श्रेणी के तहत एडमिशन लिया था, जो वंजारी समुदाय के लिए आरक्षित है। पूजा खेडकर ने 2007 में पुणे के काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया था।

बता दें कि इस आरक्षण का लाभ तभी मिलता है, जब छात्र या अभ्यर्थी नॉन-क्रीमी लेयर में आता हो और नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट तभी दिया जाता है जब परिवार की सालाना फाइनेंसिशल आय 8 लाख के भीतर हो। पूजा खेडकर के मामले में इस नॉन-क्रीमी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। डॉ. अरविंद वी. भोरे ने यह दावा किया गया है कि खेडकर ने प्राइवेट कॉलेज की एंट्रेंस परीक्षा के माध्यम से एडमिशन लिया था पर उनके कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के स्कोर पर विचार नहीं किया गया।

यूपीएससी में भी लगाया था सर्टिफिकेट

IAS पूजा खेड़कर ने यूपीएससी में भी आईएएस बनने के लिए नॉन-क्रीमी लेयर के तहत ओबीसी सर्टिफिकेट जमा किया था। अब यह स्पष्ट है कि उन्होंने मेडिकल एडमिशन के लिए भी नॉन-क्रीमी का उपयोग किया गया था। अब सवाल पूछा जा रहा है कि जब उनकी मां एक डॉक्टर हैं और उनके पिता एक सीनियर सरकारी कर्मचारी हैं तो उन्हें नॉन क्रिमी सर्टिफिकेट कैसे मिल गया? इस बीच, उनकी एक और पोल खुली कि वे एकदम फिट हैं। बता दें कि कॉलेज में एडमिशन के दौरान छात्र को मेडिकल प्रवेश के समय फिटनेस सर्टिफिकेट जमा करना होता है और आईएएस खेड़कर ने भी मेडिकल सर्टिफिकेट जमा किया था।

फिटनेस सर्टिफिकेट में सच

पूजा खेडकर ने काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते वक्त अपना फिटनेस सर्टिफिकेट जमा किया था। इसमें कहा गया है कि वह किसी भी रूप में विकलांग नहीं है। यूपीएससी प्रक्रिया के दौरान उन्होंने बताया था कि पूजा खेडकर को मानसिक बीमारी सहित कई विकलांगताएं हैं। उस पर भी बहस चल रही है। हालांकि, जानकारी सामने आई है कि कॉलेज एडमिशन के वक्त वह पूरी तरह फिट थीं ।