नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए मुद्दे शामिल हैं जो हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव होंगे और उनके कामकाज में मदद करेंगे।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी संबोधित किया, जिन्होंने राज्यपालों की शपथ का उल्लेख किया और उनसे सामाजिक कल्याण योजनाओं और पिछले दशक के दौरान हुए विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने का आग्रह किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केन्द्र और राज्य के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं तथा वंचितों को शामिल करने के लिए लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ संवाद स्थापित करें।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है जो संविधान के ढांचे के भीतर राज्य के लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों के संदर्भ में।
सम्मेलन में अमित शाह ने राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए गांवों और जिलों का दौरा करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन के साथ, देश में न्याय प्रणाली का एक नया युग शुरू हो गया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सोच में बदलाव कानूनों के नामों से स्पष्ट है: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम।
राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें।
उन्होंने राज्यपालों को यह सोचने की सलाह दी कि वे अपने-अपने राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ नवाचार और आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है। उन्होंने राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि हमारी आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में रहता है, और राज्यपालों से इन क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास को प्राप्त करने के तरीके सुझाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सके तो 'युवा विकास' और 'युवा-नेतृत्व विकास' को और अधिक गति मिलेगी। 'मेरा भारत' अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें।
राष्ट्रपति मुर्मू ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और जुड़ने में सक्षम बनाया है। उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया।
आधिकारिक विवरण के अनुसार, सम्मेलन में अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राज्यपालों के उपसमूह प्रत्येक एजेंडा आइटम पर विचार-विमर्श करेंगे।
राज्यपालों के अलावा, ऐसे सत्रों में केंद्रीय मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल होंगे। उपसमूहों की टिप्पणियों और सुझावों को 3 अगस्त, 2024 को समापन सत्र के दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।