पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष किया स्वीकार, पााकिस्तान अधिकृत कश्मीर विदेशी क्षेत्र है

नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) एक विदेशी क्षेत्र है और इस पर पाकिस्तान का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। कश्मीरी कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह के अपहरण मामले में शुक्रवार (31 मई) को पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने यह दुर्लभ स्वीकारोक्ति की।

इस्लामाबाद की अदालत अहमद फरहाद शाह के मामले की सुनवाई कर रही थी, जिन्हें 15 मई को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने रावलपिंडी में उनके घर से अगवा कर लिया था। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी ने कवि की पत्नी की याचिका के बाद फरहाद शाह को अदालत में पेश करना चाहा।

पाकिस्तान टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने न्यायमूर्ति कयानी के समक्ष तर्क दिया कि फरहाद शाह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पुलिस हिरासत में है और उसे इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पेश नहीं किया जा सकता। कश्मीर एक विदेशी क्षेत्र है, जिसका अपना संविधान और अपनी अदालतें हैं तथा पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तानी अदालतों के फैसले विदेशी अदालतों के फैसले जैसे प्रतीत होते हैं।

न्यायमूर्ति कयानी ने कहा कि यदि पीओके एक विदेशी क्षेत्र है, तो एआईआर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी रेंजर्स वहां कैसे घुस आए। सुनवाई के दौरान कयानी ने लोगों के जबरन अपहरण की प्रथा जारी रखने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की आलोचना की।

कोर्ट में बहस के दौरान यह बात सामने आई कि अहमद फरहाद शाह को धीरकोट पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। उसके खिलाफ पीओके में दो मामले दर्ज हैं। उच्च न्यायालय फरहाद शाह की पत्नी द्वारा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों द्वारा उनके घर से उनके अपहरण के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

1947 से पाकिस्तान के कब्जे में रहा पाक अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जिसे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में दोहराया है। जयशंकर ने कहा, यह (पीओके) हमेशा भारत के साथ रहा है और हमेशा भारत ही रहेगा।

कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और उसके लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता हैं। उन्हें इस्लामी गणराज्य में हुकूमत चलाने वाली संस्था (सेना) की कड़ी आलोचना के लिए जाना जाता है। उन्होंने अतीत में पीओके में कई सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और उनमें भाग लिया।