किसान आंदोलन पर बोले पीएम मोदी - गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन सुधारों को होने दो

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदरणीय सभापति जी पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्‍यसभा को संबोधित करते हुए कहा, कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। लेकिन भारत है जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आशा की किरण नजर आ रही है।

पीएम मोदी ने कहा, हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है, ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक मूल्यों से भरा हुआ है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। भारत का राष्ट्रवाद ना तो संकीर्ण है, ना ही आक्रामक है। ये सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में बताया कि ये शब्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में लाल बहादुर शास्त्री जी का जिक्र करते हुए कहा, जब उनकी सरकार ने कृषि सुधार करने की पहल की उस वक्‍त भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लेकिन वो पीछे नहीं हटे थे। उस वक्‍त कांग्रेस और लेफ्ट को अमेरिका का एजेंट बताया जाता था। आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि वक्‍त आ गया है कि अब आंदोलनकारियों को समझाते हुए हमें आगे बढ़ना होगा। पीएम मोदी ने कहा गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन सुधारों को होने दो। पीएम मोदी ने कहा कि बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उन्हें घर जाना चाहिए। आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहे। किसानों के साथ लगातार बात की जा रही है।

उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले लोगों से अपील है कि वहां बूढ़े लोग भी बैठे हैं, आंदोलन खत्म करें, मिलकर चर्चा करते हैं। खेती को खुशहाल बनाने के लिए ये समय है, जिसे गंवाना नहीं है। पक्ष-विपक्ष हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। ये भी देखना होगा कि इनसे ये लाभ होता है या नहीं। मंडियां ज्यादा आधुनिक हों। MSP था, है और रहेगा।

उन्होंने कहा कि सदन की पवित्रता को समझें। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन मिलता है, वो जारी रहेगा। आबादी बढ़ रही है, जमीन के टुकड़े छोटे हो रहे हैं, हमें कुछ ऐसा करना होगा कि किसानी पर बोझ कम हों और किसान परिवार के लिए रोजगार के अवसर बढ़ें। हम अगर देर कर देंगे। हम अपने ही राजनीतिक समीकरणों के फंसे रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा।