आपके श्वसन तंत्र पर अटैक करता है कोरोना, PM मोदी ने बताया कैसे बचाता है प्राणायाम

कोरोना संकट के बीच आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। कोरोना वायरस के चलते इस बार लोग एक स्थान पर जमा नहीं होकर और डिजिटल प्लेटफॉर्म और घर पर ही योग दिवस मना रहे हैं। यह पहली बार है, जब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस साल की योग दिवस की थीम 'योगा एट होम, योगा बिथ फैमिली' रखी गई है। बता दें कि 21 जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 दिसंबर 2014 को प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था।

कोरोना संकट के दौरान योग की जरूरत बढ़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कोरोना संकट के दौरान योग की जरूरत बढ़ गई है। योग कोरोना से लड़ने में मददगार साबित हो रहा है। पीएम ने कहा कि इसलिए, इस बार का योग दिवस, भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी बॉन्डिंग को भी बढ़ाने का दिन है। पीएम मोदी ने कहा कि विश्व बंधुत्व का दिन है। जो हमें जोड़े, साथ लाए वहीं तो योग है। जो दूरियों को खत्म करे वही तो योग है। हमारी फैमली बाउंडिंग को बढ़ाने का दिन है।

योग से हारता है कोरोना

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से दुनिया योग की जरूरत को पहले से ज्यादा महसूस कर रही है। हमारी इम्युनिटी स्ट्रांग हो तो इस बीमारी को हराने में मदद मिलती है। कोरोना हमारे श्वसन तंत्र पर अटैक करता है। प्राणायाम से इस तंत्र को मजबूत करने में सबसे ज्यादा मदद मिलती है। प्राणायाम के अनेक प्रकार हैं। अगर आप प्राणायाम जानने वालों से मिलेंगे तो बताएंगे कि इसके कितने प्रकार हैं। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। आप प्राणायाम को अपने डेली अभ्यास में जरूर शामिल कीजिए। अनुलोम-विलोम के साथ दूसरी भी पद्धतियों को सीखने की कोशिश कीजिए। योग की मदद से लोगों को कोरोना बीमारी को हराने में मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है। योग का अर्थ ही है- समत्वम् योग उच्यते। अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमारे यहां कहा गया है कि युक्त आहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मसु, युक्त स्वप्ना-व-बोधस्य, योगो भवति दु:खहा। अर्थात्, सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम को सही ढंग से करना ही योग है।'