15 अगस्त पर PM मोदी लाल किला नहीं कश्मीर में फहराएंगे तिरंगा!

राज्यसभा में गुरुवार को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया। इसी के साथ अधिसूचना जारी कर आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर भी राज्यसभा में वोटिंग हुई। पुनर्गठन बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 61 वोट पड़े। मशीन में तकनीकी परेशानी के चलते सभी सदस्यों को पर्ची बांटी गई। इस विषय पर दिनभर विपक्ष का जोरदार हंगामा भी देखने को मिला। अब लोकसभा में मंगलवार को इस बिल और संकल्प पर चर्चा होगी। अमित शाह ने कहा जम्मू-कश्मीर को सबसे विकसित राज्य बनाएंगे। वो हमेशा केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा। हालात सामान्य होने पर फिर से पूर्ण राज्य बनाएंगे। संसद से प्रस्ताव पास हो जाने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के साथ ही यह कानून बन जायेगा। अब इन सबके बीच एक और बात की अटकलें लगाई जा रही है कि कुछ अलग करने के लिए पहचाने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी इस बार 15 अगस्त को कश्मीर में तिरंगा फहरा सकते हैं।

बता दे, भाजपा हमेशा से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाती रही है। इसके संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर ही वैचारिक मतभेद के कारण जवाहर लाल नेहरु से अलग हो गये थे। इसके बाद उन्होंने आरएसएस की मदद से भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में तब्दील हो गई। इस प्रकार कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक स्थिति का विरोध भाजपा के मूल में है और अब पूरी ताकत के साथ सत्ता में आने के बाद वह इसमें परिवर्तन करना चाहती है।

बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने पूरे राज्य में 15 अगस्त को तिरंगा फहराने का कार्यक्रम बनाया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के हर पंचायत, जिला मुख्यालयों और सभी सरकारी इमारतों पर 15 अगस्त को तिरंगा फहराया जायेगा और वंदे मातरम गीत गाया जायेगा। इसमें कश्मीर का वह लाल चौक भी शामिल होगा जहां तिरंगा फहराने को लेकर कई बार हिंसक वारदातें हो चुकी हैं।

बता दे, अब जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी। यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह व‍िधानसभा व‍िहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा। मोदी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले ज्यादा अधिकार खत्म ही नहीं बल्कि कम भी हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर की हालत अब दिल्ली जैसे राज्य की तरह हो गई है। अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे और सरकारें भी होंगी, लेकिन उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा। दिल्ली की तरह जिस प्रकार सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। पुनर्गठन के बाद कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं। राज्य में तीन जनवरी 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू है।

बिना सिर के हुआ भारत!

वही कश्मीर घाटी में मौजूदा हलचल को आगामी विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर में वर्ष के अंत में चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी बीच भाजपा जम्मू-कश्मीर में भी सदस्यता अभियान को तेजी से आगे बढ़ा रही है। पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने कहा है कि राज्य में सदस्यता अभियान तेजी से चल रहा है। जम्मू के अलग-अलग भागों से लेकर घाटी तक में लोगों ने भाजपा की सदस्यता ली है। पार्टी ने उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को राज्य में चुनावी जिम्मेदारी सौंपकर अपनी तैयारी को तेज करने का भी संकेत दिया था।

बता दे, मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पर लिए ऐतिहासिक फैसले का कांग्रेस, राजद समेत विपक्ष की कई पार्टियां विरोध कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा ने आज संविधान की हत्या कर दी है। गुलाम नबी आजाद ने कहा आज का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है। संसद के बाहर बोलते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में कश्मीर में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी। जब-जब भी राज्य में आतंकवाद का बोलबाला रहा तब भी उन्होंने लड़ाई लड़ी। कश्मीर की आवाम और मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने आतंकवाद का भी मुकाबला किया। आतंकवाद का मुकाबला सुरक्षाबलों ने भी किया। बीजेपी की सरकार ने सत्ता के नशे में और वोट हासिल करने के लिए एक झटके में आर्टिकल 370 के साथ आर्टिकल 35A को खत्म कर दिया। इसके साथ खिलवाड़ कर यह बहुत बड़ी गद्दारी कर रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'एक झटके में बीजेपी की सरकार ने सत्ता के नशे में और वोट हासिल करने के लिए एक पूर्ण राज्य को जिसके पास अपनी संस्कृति है, सभ्याता है, भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से अलग है, राजनीतिक स्तर पर अलग है, इतिहास के तौर पर अलग है, लद्दाख जिसमें मुस्लिम और बौद्ध रहते हैं, कश्मीर जिसमें मुस्लिम और पंडित रहते हैं और सिख रहते हैं। जम्मू में जहां 60 फीसदी हिंदू आबादी है, 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है। सिख आबादी है। अगर यहां लोगों को किसी ने बांध कर रखा था तो अनुच्छेद 370 ने रखा था।'

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज सिर के बिना भारत है। कश्मीर देश का मस्तक था। आज देश का सिर काट दिया गया। देश को कमजोर को खत्म कर दिया गया है। लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जो भी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हैं, उन्हें कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बाइट नहीं प्रसारित की जाती है।