लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश के पिछड़े वर्ग (ओबीसी) से जुड़ा एक अहम स्वीकारोक्ति की है। उन्होंने माना कि वे ओबीसी समुदाय के हितों की रक्षा उस तरह से नहीं कर सके, जैसी उनसे अपेक्षा थी। दिल्ली में आयोजित 'भागीदारी न्याय महासम्मेलन' को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर उनकी चूक एक गंभीर भूल थी — और अब वे इसे सुधारना चाहते हैं।
राहुल गांधी ने मानी गलती, लिया सुधार का संकल्पराहुल गांधी ने कहा, जातिगत जनगणना नहीं करवा पाना मेरी निजी चूक है, मैं इसे ठीक करूंगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि कांग्रेस शासित हर राज्य में जातीय जनगणना कराई जाएगी ताकि ओबीसी, दलितों और आदिवासियों को उनकी वास्तविक हिस्सेदारी मिल सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की उत्पादन क्षमता इन्हीं वर्गों के श्रम से चलती है, लेकिन उन्हें उचित सम्मान और भागीदारी नहीं मिल रही।
बीजेपी-आरएसएस पर लगाया इतिहास मिटाने का आरोपअपने भाषण में राहुल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, ओबीसी समुदाय का इतिहास जानबूझकर भुला दिया गया है, उसे पाठ्यक्रम और विमर्श दोनों से मिटाने की कोशिश की गई है। उनका कहना था कि इन वर्गों की ताकत को पहचान कर उसे मजबूत करना जरूरी है, ताकि लोकतंत्र वास्तव में सहभागी और समावेशी बन सके।
तेलंगाना से शुरू हुआ बदलावतेलंगाना में हुए कांग्रेस प्रदेश बैठक की चर्चा करते हुए राहुल ने कहा कि वहां की जातीय जनगणना भविष्य की दिशा तय करेगी। उन्होंने कहा, जैसे सुनामी के पहले किसी को दरारें नहीं दिखतीं, पर बाद में उसका असर साफ नजर आता है — ठीक वैसे ही तेलंगाना में जातीय डेटा इकट्ठा होने के बाद सामाजिक शक्ति संतुलन में बदलाव आ रहा है।
डेटा है नया तेल, पीएम मोदी पर तंजराहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डेटा नीति पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में डेटा ही असली ताकत है — और यह डेटा सिर्फ प्राइवेट कंपनियों के पास नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, जैसे पहले तेल से ताकत मानी जाती थी, वैसे अब डेटा है असली ताकत। पर मोदी जी सिर्फ 3जी, 4जी, 5जी की बात करते हैं, वे यह नहीं बताते कि समाज में किसके पास कितनी भागीदारी है।
उन्होंने दावा किया कि तेलंगाना सरकार के पास इतना सटीक डेटा है कि वह एक मिनट में बता सकती है — राज्य के किस दफ्तर में कितने दलित, आदिवासी और ओबीसी काम करते हैं।
ओबीसी वर्ग के लिए अब नई नीति की तैयारीराहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य ओबीसी वर्ग को सिर्फ आरक्षण तक सीमित नहीं रखना, बल्कि उन्हें नीति निर्माण, शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में बराबरी दिलाना है।
उन्होंने कहा, अगर हमें देश की सच्ची प्रगति चाहिए, तो हमें यह जानना ही होगा कि 90 करोड़ लोगों की आबादी में कितने प्रतिशत लोगों को समान अवसर मिल रहे हैं। जातीय जनगणना इसका पहला और जरूरी कदम है।
आत्मस्वीकृति और नई दिशाराहुल गांधी का यह आत्मस्वीकृति वाला भाषण एक ऐसा मोड़ हो सकता है, जहां कांग्रेस पार्टी फिर से ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्गों के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश करे। उन्होंने अपनी गलती खुले मंच से स्वीकार करते हुए कहा, यह कांग्रेस की नहीं, मेरी अपनी गलती है — और मैं इसे ठीक करूंगा।