PM मोदी की अधिकारियों को सख्त हिदायत - ब्लैक फंगस की दवा दुनिया में जहां हो भारत लाएं

देश में बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने अब चिंता बढ़ा दी है। देशभर में ब्‍लैक फंगस संक्रमण के अब तक 11,717 मामले सामने आ चुके हैं। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि देश भर में उपचाराधीन मरीजों की संख्या के आधार पर यह आवंटन किया गया है जो 11,717 है। इसके उपचार में इस्‍तेमाल होने वाली 'एंफोटेरिसिन-बी' दवा की अतिरिक्त 29,250 शीशियां म्यूकोरमायकोसिस के इलाज के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आज आवंटित की गईं।

बता दे, भारत ब्‍लैक फंगस में इस्‍तेमाल होने वाली दवा लिपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन (Liposomal Amphotericin B injection) की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में मोदी सरकार ने दवा की कमी से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ दिया है। पीएम मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दुनिया के किसी भी कोने में यह दवा मिले, तो उसे भारत लाया जाए। इसके साथ ही सरकार ने इस दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया है, जो लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी दवा को बना सकती हैं।

पीएम मोदी लगातार ब्‍लैक फंगस और लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी इंजेक्शन की उपलब्‍धता को लेकर वरिष्‍ठ अधिकारियों से बात कर रहे हैं। पीएम मोदी के निर्देशों के बाद ब्‍लैक फंगस से जुड़ी दवा की आपूर्ति हासिल करने का काम तेज कर दिया गया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने अधिकारियों को साफ-साफ शब्‍दों में कह दिया है कि विश्‍व के किसी भी देश में ये दवा मिले, वहां से इसे तुंरत भारत लाया जाए। इसमें दुनियाभर में मौजूदा भारतीय दूतावासों की मदद ली जा रही है। भारतीय दूतावास अपने-अपने देशों में लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी की खोज कर रहे हैं। खबर है कि ब्‍लैक फंगस में इस्‍तेमाल होने वाली दवा को संयुक्त राज्य अमेरिका में गिलियड साइंसेज की मदद से हासिल किया जा रहा है।

बता दें कि ये कंपनी भारत को रेम‍डेसिविर भी उपलब्‍ध करा रही है। अब ये कंपनी एंफोटेरेसिरिन बी भी भारत को उपलब्‍ध करा रही है। अभी तक इसकी 121,000 शीशियां भारत भेजी जा चुकी हैं। जल्दी ही 85,000 वायल और पहुंचने वाली है। बताया जा रहा है कि गलियड साइंसेज ने मायलन के जरिए भारत में एंफोटेरेसिरिन बी की 10 लाख खुराक भेजने का लक्ष्य रखा है।