विश्व भारती के दीक्षांत समारोह में बोले पीएम - यहां मैं एक अतिथि नहीं बल्कि एक आचार्य के नाते आया हूं, 14 बाते

पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां पहुंच चुके हैं। शांति निकेतन पर पीएम मोदी के पहुंचते ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें गुलदस्ता देकर और शॉल भेंटकर उनका स्वागत किया। पीएम मोदी भारत और बांग्लादेश के सांस्कृतिक संबंधों के प्रतीक ‘बांग्लादेश भवन’ का उद्घाटन भी करेंगे। इस मौके पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी भारत आई हैं। हसीन भी शांति निकेतन में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी।

शांति निकेतन में पीएम मोदी

- दूसरे देशों के लोग कैसे रहते हैं, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्य क्या हैं, इस बारे में जानने पर वो हमेशा जोर देते थे। लेकिन इसी के साथ वो ये भी कहते थे कि भारतीयता नहीं भूलनी चाहिए: पीएम मोदी

- शिक्षा तो व्यक्ति के हर पक्ष का संतुलित विकास है जिसको समय और स्थान में बांधा नहीं जा सकता है। गुरुदेव चाहते थे कि भारतीय छात्र बाहरी दुनिया में भी जो कुछ हो रहा है, उससे परिचित रहें: पीएम मोदी

- गुरुदेव मानते थे कि हर व्यक्ति का जन्म किसी ना किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए होता है। प्रत्येक बालक अपनी लक्ष्य-प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके, इसके लिए उसे योग्य बनाना शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य है। वो कहते थे कि शिक्षा केवल वही नहीं है जो विद्यालय में दी जाती है: पीएम मोदी

-दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों में टैगोर आज भी अध्ययन का विषय हैं। गुरुदेव पहले भी Global citizen थे और आज भी हैं: पीएम मोदी

- मैं जब तजिकिस्तान गया था, तो वहां गुरुदेव की एक मूर्ति का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। गुरुदेव के लिए लोगों में जो आदरभाव मैंने देखा था,वो आज भी याद है: पीएम मोदी

- Culture हो या फिर Public Policy हम एक दूसरे से बहुत-कुछ सीखते हैं। इसी का एक उदाहरण बांग्लादेश भवन है: पीएम मोदी

- यहां हमारे बीच में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी भी मौजूद हैं। भारत और बांग्लादेश दो राष्ट्र हैं, लेकिन हमारे हित एक दूसरे के साथ समन्वय और सहयोग से जुड़े हैं: पीएम मोदी

- मैं जब मंच की तरफ आ रहा था, तो ये सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर गुरुदेव के कदम पड़े होंगे। यहां कहीं आसपास बैठकर उन्होंने शब्दों को कागज पर उतारा होगा, कभी कोई धुन, कोई संगीन गुनगुनाया होगा, कभी महात्मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी, कभी किसी छात्र को जीवन का मतलब समझाया होगा: पीएम मोदी

- ये मेरा सौभाग्य है कि गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की इस पवित्र भूमि में इतने आचार्यों के बीच मुझे आज कुछ समय बिताने का समय मिला है : पीएम मोदी

- यहां मैं एक अतिथि नहीं बल्कि एक आचार्य के नाते आपके बीच में आया हूं। यहां मेरी भूमिका इस महान लोकतंत्र के कारण है: पीएम मोदी।

-पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप एक समृद्ध विरासत के वारिस हैं।

- विदेशों में गुरुदेव को सम्मान के साथ याद किया जाता है।

-हमारे हाथ कल्चर और दोस्ती से जुड़े हुए हैं।

-पीएम मोदी ने कहा कि विश्व भारती विश्वविद्याल के कुलपति होने के नाते सबसे पहले मैं आपसे माफी मांगता हूं। जैसे ही मैं यहां आया, कुछ छात्रों में पानी की उचित व्यवस्था न होने के लिए नाराजगी जाहिर की, आपको हुई परेशानी को लेकर मैं क्षमा मांगता हूं।