16वें दिन भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ें, जानें आपके शहर में क्या है कीमत

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामो से आम जनता को राहत मिलती नहीं दिख रही है। सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल पर 15 पैसे और डीजल पर 11 पैसे दाम बढ़े थे। वही आज मंगलवार को भी इनके दामो में बडोतरी कर दी है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 86.24 रुपये हो गई है तो वहीं देश की राजधानी में इसकी कीमत 78.43 रुपये पर पहुंच गई है। पेट्रोल-डीजल के दामों में यह बढ़ोतरी वैट, एक्साइज ड्यूटी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से लगी हुई है।

डायनमिक प्राइसिंग सिस्टम को 14 मई को दोबारा अमल में लाए जाने के बाद से रोजाना के आधार पर पेट्रोल और डीजल के दामों में संशोधन किया जा रहा है।

इंडियन ऑयल लिमिटेड (आईओएल) की वेबसाइट के अनुसार

- दिल्ली में पेट्रोल 78 रुपये 43 पैसे प्रति लीटर,
- कोलकाता में 81 रुपये 06 पैसे,
- मुंबई में 86 रुपये 24 पैसे,
- चेन्नई में 81 रुपये 43 पैसे प्रति लीटर और
- लखनऊ में 78 रुपये 82 पैसे प्रति लीटर की दर से बिक रहा है।

डीजल की बात करें तो

- दिल्ली में डीजल 69 रुपये 31 पैसे प्रति लीटर,
- कोलकाता में 71 रुपये 86 पैसे,
- मुंबई में 73 रुपये 79 पैसे और
- चेन्नई में 73 रुपये 18 पैसे प्रति लीटर की दर से बिक रहा है।

दामों की बढ़ोत्तरी के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि घरेलू बाजार में तेल के दामों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण होती है क्योंकि कच्चे तेल का दाम ऊंचा होने से उसका आयात महंगा हो जाता है। हालांकि पिछले हफ्ते से अतंर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में प्रति बैरल चार से पांच डॉलर की गिरावट आई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस समय क्रूड ऑयल की कीमत 76 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है।

कच्चे तेल की कीमत गिरने से पेट्रोल-डीजल की कीमत में जल्द कमी के आसार दिखने लगे हैं। ओपेक संगठन-रूस के बाद अमेरिकी आपूर्ति बढ़ने से गिरावट और तेज होने की उम्मीद है। कच्चे तेल की कीमत में 5.5 फीसदी की गिरावट आई है। इस गिरावट के साथ कच्चा तेल 75 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर पहुंच गया है।

केंद्र व राज्य सरकारों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश के लिए एक साथ कई कदम उठाने होंगे। केंद्र को जहां उत्पाद शुल्क में कटौती करनी होगी, वहीं राज्यों को वैट घटाना होगा। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने का लाभ सिर्फ उन्हीं राज्यों को मिलेगा, जहां वैट की दर काफी ज्यादा है। जिन राज्यों में वैट 20 फीसदी के आसपास है, वहां जीएसटी की उच्चतम दर 28 फीसदी लागू करने से नुकसान होगा।