जाने पाकिस्तान ने पहले कब किया था 'गजनवी' का परीक्षण, कैसे मिला इस बैलेस्टिक मिसाइल को ये नाम

पाकिस्तान ने आज यानि गुरुवार को अपने बैलिस्टिक मिसाइल गजनवी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर बताई जा रही है। यह मिसाइल 700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल का इस्तेमाल हवाई नहीं, बल्कि सतह से सतह के लिए होगा। इस परीक्षण के लिए पाकिस्तान ने अपना कराची एयरस्पेस तीन दिन के लिए बंद कर दिया था। पाकिस्तान के नागर विमानन प्राधिकरण ने 28 अगस्त को चार दिन (28 से 31 अगस्त) के लिए तीन वायु मार्ग बंद करने की घोषणा कर दी थी। मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश को बधाई भी दी है। इसके साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी बधाई दी है। इसे बनाने की शुरुआत 1987 में हुई थी। कई परीक्षण से गुजरने के बाद 2007 में इसे पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया। पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्पलैक्स ने इस मिसाइल को डिजाइन और डेवलप किया है। इसका पहला वर्जन 2004 से ही पाकिस्तानी सेना के पास है।

पाकिस्तान ने कई बार किया गजनवी का परीक्षण

पाकिस्तान ने सबसे पहले 26 मई 2002 को अपने मिलिट्री बेस से इसका परीक्षण किया। पाकिस्तान ने इसके सफल रहने का दावा किया। इसके बाद 3 अक्टूबर 2003 को पाकिस्तान ने फिर से इस मिसाइल का परीक्षण किया। कहां से परीक्षण किया गया इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि बैलेस्टिक मिसाइल ने करीब 290 किलोमीटर दूर के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाब रही।

इसके बाद मार्च 2004 में इसे पाकिस्तानी सेना में शामिल कर लिया गया। इस बैलेस्टिक मिसाइल को खास तौर से भारत के लिए खतरा बताया जाता है।

पाकिस्तान ने कैसे हासिल की गजनवी की टेक्नोलॉजी

पाकिस्तान पहले चीन से एम-11 मिसाइल टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहता था। पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहते हुए बेनजीर भुट्टो ने चीन की एम-11 मिसाइल की टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए खूब लॉबिइंग की, लेकिन अमेरिका के विरोध की वजह से उसे ये टेक्नोलॉजी हासिल नहीं हो पाई। जब पाकिस्तान चीन से एम-11 हासिल नहीं कर सका तो नब्बे के दशक में उसने गजनवी पर काम करना शुरू किया।

पाकिस्तान के गजनवी और अब्दाली मिसाइल की टेक्नोलॉजी चीन के एम-11 मिसाइल की टेक्नोलॉजी की तरह ही है। दरअसल चीन ने ही चोरी चुपके पाकिस्तान को बैलेस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी दी। हालांकि पाकिस्तान दावा करता है कि उसने स्वदेशी तौर पर ये मिसाइल विकसित की है। 1995 में पाकिस्तान ने इसके इंजन को बनाने में कामयाबी हासिल की और उसका सफल परीक्षण किया।

8 दिसंबर 2004 को पाकिस्तान ने इसका तीसरा परीक्षण किया। इसके बाद दिसबंर 2006, फरवरी 2008 और मई 2010 में भी इसका परीक्षण किया। मई 2012 में पाकिस्तानी सेना की ट्रेनिंग एक्सरसाइज के दौरान इस मिसाइल का परीक्षण हुआ।