इमरान खान शपथ ग्रहण समारोह : सिद्धू का हुआ कन्फर्म, कपिल-गावस्कर के जाने पर संदेह

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान 11 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इससे पहले सबकी नजर इस बात पर है कि इमरान खान भारत से किन लोगों को अपने शपथ ग्रहण में आने का न्योता देंगे और भारत से कौन-कौन उनके न्योता को स्वीकार कर शपथ ग्रहण में शामिल होंगे, इस पर अभी संशय बना हुआ है। हलाकि खबरे है कि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बॉलीवुड स्टार आमिर खान, पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, सुनील गावस्कर और नवजोत सिंह सिद्धू को बुलावा आया है। इन सबमें से पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उन्होंने इमरान खान के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह के लिए उनके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।

पाकिस्तान से आए न्‍योते पर मीडिया से बात करते हुए पंजाब के मंत्री ने कहा, 'यह बेहद सम्‍मान की बात है और मैं न्‍योता स्‍वीकार करता हूं। गुणवान व्‍यक्ति की प्रशंसा की जाती है, शक्तिशाली व्‍यक्ति से डरा जाता है लेकिन चरित्रवान इंसान पर भरोसा किया जाता है। खान साहब चरित्रवान इंसान हैं। उन पर भरोसा किया जा सकता है। खिलाड़ी संपर्क बनाते हैं और रूकावटों को हटाते हैं और लोगों को जोड़ते हैं।'

हमें अभी कोई न्योता नहीं मिला

हालांकि, सुनील गावस्कर और कपिल देव ने स्पष्ट कर दिया है कि इमरान खान की ओर से उन्हें अभी तक कोई न्योता नहीं मिला है। वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान के संसदीय चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक शीर्ष नेता ने कहा कि पार्टी ने विदेश कार्यालय से पूछा है कि क्या भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया जा सकता है?

पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी पर जीत दर्ज की

- पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी पीटीआई को सबसे ज्यादा 116 सीटें मिली थीं, हालांकि वह बहुमत से 21 सीट दूर रह गए थे। पाकिस्तान में कुल 270 सीटों के लिए चुनाव हुआ था, जिसमें से इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने 116 सीटें जीती हैं।
- इमरान खान ने खुद पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी में उन्होंने जीत दर्ज की थी। सरकार बनाने के लिए पीटीआई ने छोटी-छोटी पार्टियों से संपर्क किया था।
- मीडिया रिपोर्ट में पहले ऐसी खबरें थीं कि इमरान खान सार्क (SAARC) देशों के नेताओं को आमंत्रित करने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता मिलने की बात थी, हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत की बधाई दी थी

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले ही इमरान खान को पाकिस्तान के आम चुनाव में जीत की बधाई दी थी।
- प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार मोदी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र के जड़े जमाने की उम्मीद जताई थी।
- बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने पूरे क्षेत्र में शांति एवं विकास की अपनी दृष्टि भी दोहराई। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (संसद का निचला सदन) के लिए हाल में हुए चुनाव में पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

विदेशी नेताओं को शपथ-ग्रहण समारोह में बुलाना एक संवेदनशील मुद्दा

- डॉन न्यूज टीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पीटीआई के वरिष्ठ नेताओं - शिरीन मजारी और शफकत महमूद - ने विदेश सचिव तहमीना जनजूआ से मुलाकात की और जानना चाहा कि शपथ-ग्रहण समारोह में काफी कम दिन बचे होने के मद्देनजर किन विदेशी नेताओं को इस कार्यक्रम में बुलाने की गुंजाइश है।
- सूत्रों ने बताया कि पीटीआई के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के सदस्य देशों और चीन एवं तुर्की के शासन प्रमुखों को शपथ-ग्रहण समारोह में बुलाने की अपनी इच्छा विदेश कार्यालय को बताई और इस पर उसके सुझाव मांगे।
- चैनल ने सूत्रों के हवाले से कहा कि विदेश कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि विदेशी नेताओं को शपथ-ग्रहण समारोह में बुलाना एक संवेदनशील मुद्दा है और सारे पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है। दि डॉन ने कहा, ‘‘विदेश कार्यालय की शुरुआती दलीलों से लगा कि विदेश कार्यालय मानता है कि यदि भारतीय प्रधानमंत्री ने न्योता स्वीकार नहीं किया तो पाकिस्तान को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा।’
- पीटीआई प्रवक्ता चौधरी ने कहा कि पार्टी विदेश कार्यालय के जवाब का इंतजार कर रही है।

बता दें कि मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उस वक्त उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था और शरीफ नई दिल्ली गए भी थे। इसके बाद, दिसंबर 2015 में मोदी शरीफ के जन्मदिन पर शुभकामनाएं देने के लिए अचानक कुछ देर के लिए लाहौर पहुंचे थे। हाल के वर्षों में भारत और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं और कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो रही।