हुर्रियत नेता गिलानी को इमरान खान ने बताया पाकिस्तानी, निधन पर एक दिन के राष्‍ट्रीय शोक का किया ऐलान, झंडे को भी आधा झुकवाया

जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu-Kashmir) में अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Geelani) का बुधवार देर रात 91 साल की उम्र में निधन हो गया। पाकिस्‍तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने गिलानी को ‘पाकिस्‍तानी’ बताते हुए देश के झंडे को आधा झुकवाया। इतना ही नहीं इमरान ने एक दिन के राष्‍ट्रीय शोक का भी ऐलान किया है। पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान ने ट्वीट किया, 'कश्‍मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्‍मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे। भारत ने उन्‍हें कैद करके रखा और प्रताड़‍ित किया।'

इमरान ने कहा, 'हम पाकिस्‍तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं। उनके शब्‍दों को याद करते हैं- हम पाकिस्‍तानी हैं और पाकिस्‍तान हमारा है। पाकिस्‍तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे।'

गिलानी के निधन से पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा, 'गिलानी के निधन पर उन्‍हें दुख है। वह कश्‍मीर के स्‍वतंत्रता आंदोलन के अगुआ थे।' बाजवा ने भारत पर भी आरोप लगाए।

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गिलानी को कश्‍मीरी आंदोलन का पथ प्रदर्शक बताया। कुरैशी ने कहा कि वह नजरबंदी के बाद भी अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे।

भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा था। कश्मीर में गिलानी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। हालांकि ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था।

अलगाववादी नेता थे गिलानी

29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। गिलानी ने कॉलेज की पढ़ाई लाहौर से की थी। उस समय लाहौर भारत का हिस्सा था। वे कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से 3 बार विधायक भी रहे थे। गिलानी पर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। उन पर कई केस भी दर्ज हुए, जिसके बाद उनका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जांच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी।

गिलानी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे और उसे अलग करने की मांग करते थे। उन्होंने 1990 के दशक में आतंकी हिंसा और अलगाववाद की सियासत करने वाले धड़ों को मिलाकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसमें 1987 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की खिलाफत करने वाले तमाम गुट शामिल हो गए थे।