
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय के 50 से अधिक लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। उन पर जुमे की नमाज अदा करने का आरोप लगाया गया है, जो उनके लिए प्रतिबंधित माना जाता है। कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने कई शहरों में अहमदियों के इबादत स्थलों को घेरकर उन्हें नमाज पढ़ने से रोक दिया। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार एक बार फिर चर्चा में हैं। अहमदिया समुदाय के खिलाफ इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
अहमदिया समुदाय पर हमला, नमाज पढ़ने से रोका गयापाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने अहमदिया समुदाय के खिलाफ उग्र कार्रवाई की। कई शहरों में उनके इबादत स्थलों को घेर लिया गया ताकि वे जुमे की नमाज अदा न कर सकें। फैसलाबाद में हिंसा के दौरान अहमदियों पर हमला भी किया गया। घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 8 नामजद अहमदियों समेत 50 से अधिक लोगों के खिलाफ पाकिस्तान पेनल कोड (PPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
गैर-मुस्लिम घोषित किए जाने के बाद बढ़ा उत्पीड़नयह एफआईआर मोहम्मद अमानुल्लाह नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुसलमान बताकर इस्लाम का अपमान कर रहे हैं। पाकिस्तान में 1974 में अहमदियों को आधिकारिक रूप से गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था, जिसके बाद से उन्हें इस्लामी रीति-रिवाज अपनाने की अनुमति नहीं है। हाल के वर्षों में उन पर हमले और प्रतिबंध और भी अधिक बढ़ गए हैं।
नमाज पढ़ने से रोका गयाजमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) के प्रवक्ता आमिर महमूद ने खुलासा किया कि पिछले एक महीने में 33 जगहों पर अहमदियों को नमाज अदा करने से रोका गया। उन्होंने सरकार से अहमदिया समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिरकार एक कट्टरपंथी संगठन के इशारे पर निर्दोष अहमदियों के खिलाफ झूठे मुकदमे क्यों दर्ज किए जा रहे हैं?
देशभर में अहमदियों पर बढ़ते हमलेजमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) के अनुसार, पंजाब के कई अन्य जिलों जैसे करतारपुर, गुजरात और सियालकोट में भी अहमदिया समुदाय के पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया। धार्मिक चरमपंथी संगठनों ने इन जगहों पर अहमदियों को जुमे की नमाज अदा करने से रोका। पाकिस्तान में अहमदियों के खिलाफ नफरत कोई नई बात नहीं है, लेकिन हालिया घटनाओं ने उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को और गंभीर खतरे में डाल दिया है।
संविधान का उल्लंघन और धार्मिक असहिष्णुताJAP का कहना है कि यह कार्रवाई पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 20 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। प्रवक्ता आमिर महमूद ने सरकार से तत्काल कदम उठाने, अहमदिया समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है।