खुफिया एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद हुआ पहलगाम आतंकी हमला, सुरक्षा इंतजामों पर उठे सवाल

कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों ने यह अलर्ट जारी किया था कि आतंकवादी पर्यटकों को निशाना बना सकते हैं, खासकर श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित जबरवान रेंज की तलहटी में बने होटलों में ठहरे पर्यटकों को लेकर खतरे की आशंका जताई गई थी। इसके बावजूद पहलगाम में घातक आतंकी हमला हुआ, जिसने सुरक्षा इंतजामों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

शनिवार, 3 मई 2025 को इस मामले की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि चेतावनी के बाद दाचीगाम, निशात और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। इन इलाकों में शीर्ष पुलिस अधिकारियों की निगरानी में तलाशी अभियान भी चलाए गए। गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सोनमर्ग के गंगनगीर में एक निर्माण स्थल पर हुए आतंकी हमले में सात लोगों की मौत हुई थी, जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल था। उसी घटना के बाद से इन क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही थी।

पीएम मोदी की श्रीनगर यात्रा पर भी था आतंकियों का नापाक इरादा

जबरवान रेंज श्रीनगर शहर के पीछे स्थित है। मिली जानकारी के अनुसार, सुरक्षा बलों ने दो सप्ताह तक श्रीनगर के बाहरी इलाकों में सघन तलाशी अभियान चलाया था, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली और यह अभियान 22 अप्रैल को बंद कर दिया गया। दुर्भाग्यवश उसी दिन पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई।

ऐसी भी खबरें थीं कि आतंकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कटरा से श्रीनगर के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने की प्रस्तावित यात्रा के दौरान हमला करना चाहते थे। यह रेलवे लिंक केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ना है। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान इससे नाराज है और इस परियोजना को विफल करने के लिए आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाई गई थी।

हालांकि, प्रधानमंत्री की यात्रा जो 19 अप्रैल को प्रस्तावित थी, खराब मौसम की चेतावनी के कारण स्थगित कर दी गई। अब इसके लिए नई तारीख जल्द घोषित होने की उम्मीद है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सीमा पार बैठे तत्व इस ऐतिहासिक पल की छवि को धूमिल करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने ऐसी बर्बर घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रची।

पर्यटकों के बीच घुल-मिल गए थे आतंकी

अधिकारियों के अनुसार, पहलगाम हमले में शामिल दो स्थानीय आतंकवादी पहले से पर्यटकों के साथ घुलमिल गए थे। जैसे ही पहला शॉट चला, उन्होंने पर्यटकों को एक भोजन कक्ष में इकट्ठा कर लिया, जहां पाकिस्तान से आए दो और आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

सूत्रों का कहना है कि हमले का मकसद देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरियों के खिलाफ गुस्सा और प्रतिशोध की भावना को भड़काना भी हो सकता है। इस हमले के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तुरंत दिल्ली में शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि उनके प्रदेशों में रह रहे कश्मीरी लोगों की सुरक्षा में कोई कमी न हो।

हथियारों और हमलों में हो रहे हैं खतरनाक बदलाव

अधिकारियों ने बताया कि हालिया मुठभेड़ों से यह स्पष्ट हो गया है कि अब आतंकवादी एम-सीरीज राइफल, स्नाइपर और कवच-भेदी गोलियों जैसे उन्नत हथियारों से लैस हैं। माना जा रहा है कि ये हथियार अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों द्वारा छोड़े गए शस्त्रागार का हिस्सा हैं, जो अब सीमा पार से आतंकियों तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को केवल पर्यटकों के आगमन से नहीं आंका जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का उल्लेख किया, जिन्होंने 2006 में पर्यटकों की आमद को कश्मीर में शांति का संकेत बताया था। लेकिन उसी महीने श्रीनगर में एक बस पर हमला हुआ, जिसमें चार पर्यटक मारे गए और छह घायल हुए।

हाल के वर्षों में आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा घरों को विस्फोट से उड़ाए जाने की घटनाएं भी बढ़ीं, लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार के अनुरोध पर इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।