एक देश एक चुनाव: कोविंद समिति की रिपोर्ट को मिली कैबिनेट की मंजूरी, शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है विधेयक

नई दिल्ली। 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई। बुधवार को हुई नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया, जिस पर सर्वसम्मति से कैबिनेट ने मुहर लगा दी। कहा जा रहा है कि सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर सकती है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में यह रिपोर्ट पेश की थी। कैबिनेट के सामने रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था।

इसे लेकर कानून मंत्रालय काफी सक्रिय है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक देश एक चुनाव के क्या फायदे हो सकते हैं और कैसे इस पर अमल किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। इसके अलावा बाद में स्थानीय निकाय चुनावों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।

उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई थी। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का भी प्रस्ताव रखा था। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। इससे 'इंडिया, जो भारत है' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। इसके अलावा अगले 100 दिनों के अंदर ही पूरे देश में निकाय चुनाव हो सकते हैं। पैनल की ओर से इन सिफारिशों को लागू करने के लिए भी एक अलग समूह के गठन का सुझाव दिया गया है। पैनल का कहना है कि इससे संसाधनों की बचत हो सकेगी। इसके अलावा जटिल प्रक्रिया को भी आसान किया जा सकेगा। पैनल का कहना है कि इस फॉर्मूले को लागू करने के लिए सबसे जरूरी चीज यह है कि कॉमन इलेक्टोरल रोल यानी मतदाता सूची तैयार की जाए।

समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। बताया गया कि समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से समर्थन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इनके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद से पारित कराना होगा।

इसी सूची को लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनावों में समान रूप से इस्तेमाल किया जाए। मौजूदा व्यवस्था में स्थानीय निकाय की मतदाता सूची अलग होती है, जबकि लोकसभा और विधानसभा की सूची अलग से तैयार होती है। फिलहाल केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराए जाते हैं। वहीं स्थानीय निकाय और पंचायत के चुनावों का आयोजन राज्य निर्वाचन आयोग करते हैं। कोविंद समिति का कहना है कि एक देश एक चुनाव के लिए 18 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत होगी, इनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों की विधानसभा की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।