नूंह हिंसा के आरोपी मोनू मानेसर को मिली जमानत, फेसबुक पर लिखे शब्दों से किसी की भावना आहत नहीं हुई

मेवात। हरियाणा की एक अदालत ने नूंह हिंसा मामले में गोरक्षक मोनू मानेसर को जमानत दे दी। मानेसर के वकील कुलभूषण भारद्वाज ने कहा कि उनके मुवक्किल को जमानत मिल गई है और उन्होंने एक लाख रुपये का जमानती बांड भरा है। उन्होंने बताया कि नूंह के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अमित कुमार वर्मा की अदालत ने जमानत दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जमानत के बावजूद, मानेसर गुरुग्राम के पटौदी में एक अन्य मामले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में है। उन्हें 12 सितंबर को नूंह हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था।

मानेसर के खिलाफ नूंह पुलिस ने एक संदेश के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी, जिसे उन्होंने कथित तौर पर 28 अगस्त को विहिप द्वारा एक और जुलूस निकालने की योजना के बीच सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। पुलिस अधिकारियों ने पहले कहा था कि पोस्ट ने धर्म के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने का प्रयास किया था।

गुरुग्राम की पटौदी अदालत ने गोरक्षक और बजरंग दल कार्यकर्ता मानेसर को हत्या के प्रयास के मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इससे पहले राजस्थान की एक जिला अदालत ने दोहरे हत्याकांड के मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन पर दो मुस्लिम व्यक्तियों, नासिर और जुनैद की हत्या का मामला दर्ज किया गया था। फिर उन्हें उनके अपहरण और हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कथित तौर पर कुछ निगरानीकर्ताओं ने उन पर गाय तस्करी का आरोप लगाते हुए उनका अपहरण कर लिया था।

जो हथियार मिला जो लाइसेंसी था

मोनू मानेसर के वकील सोमदत्त शर्मा का कहना है कि मोनू मानेसर की जमानत पर सुनवाई हुई थी। मुकदमा संख्या 37 में कोर्ट में बहस हुई। धारा 295 और अवैध हथियार की धाराओं के मामले में बहस की गई। जो फेसबुक पर शब्द लिखे थे, कोर्ट ने माना कि उससे किसी की भावना आहत नहीं हुई थी। इसके अलावा जो हथियार पुलिस ने बरामद किया था, वह लाइसेंसी था।

अन्य मामलों में जमानत के लिए किया जाएगा प्रयास


लिहाजा कोर्ट ने दोपहर बाद जो फैसला सुनाया, उसमें मोनू मानेसर को जमानत दे दी। उनके वकीलों का कहना है कि अब मोनू मानेसर पर राजस्थान में दर्ज जुनैद-नासिर मर्डर के मामले में तथा हरियाणा के गुरुग्राम जिले के पटौदी में हत्या के प्रयास के जो मुकदमे दर्ज हैं, अब उनमें भी उनकी जमानत कराने की भरपूर कोशिश की जाएगी।

उन्होंने ने कहा कि सीनियर अधिवक्ता एलएन पाराशर फरीदाबाद और कुलभूषण भारद्वाज गुरुग्राम ने भी मोनू मानेसर के मामले में बहस की थी। हालांकि, मोनू मानेसर अभी जेल में ही रहेगा। फिलहाल वह पटौदी के एक मामले में भोंडसी जेल में बंद है।

31 जुलाई को हुई थी हिंसा

नूंह में 31 जुलाई को बड़ा पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस दौरान ब्रजमंडल यात्रा निकाली गई थी। बाद में दो समुदाय आमने सामने आ गए थे, जिसमें कुछ छह लोगों की मौत हो गई थी।