गहलोत मंत्रिमंडल में दिखाई दिया क्षेत्रीय असंतुलन, 4 जिलों से आधे मंत्री जबकि 16 से कोई मंत्री नहीं

बीते दिन राजस्थान में गहलोत कैबिनेट में भारी फेरबदल करते हुए नए मंत्री चुने गए। मंत्रिमंडल में जाट-एसटी, दलित वोट बैंक पर फोकस देखने को मिला। जाट, एसटी और दलित कांग्रेस का कोर वोट बैंक था, लेकिन अब इन वर्गों में बीजेपी ने भी प्रभाव बढ़ा लिया है। कांग्रेस इस बड़े और कोर वोट बैंक को साधने के लिए इन वर्गों के ज्यादा मंत्री बनाए हैं। कैबिनेट में जाट-एसटी, दलितों को टॉप पर रखा है। जाट और एसटी वर्ग के 5-5 मंत्री हैं। दलित वर्ग से 4 कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। राजपूत, वैश्य वर्ग से 3-3 मंत्री हैं। मुस्लिम और गुर्जर वर्ग से 2-2 मंत्री बनाए हैं। यादव, पटेल और बिश्नोई वर्ग से एक एक मंत्री हैं।

लेकिन इस मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय असंतुलन देखने को मिला जिसके अनुसार 4 जिलों से आधे मंत्री हैं जबकि 16 जिले से कोई मंत्री नहीं हैं। मंत्रिमंडल में भरतपुर और जयपुर का दबदबा है, जहां से 4-4 मंत्री बना दिए हैं। पाली, झालावाड़ से कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। इसलिए यहां से मंत्री नहीं बने। अजमेर, नागौर, उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, राजसमंद से कोई मंत्री नहीं है।

गहलोत कैबिनेट में केवल चार जिलों से ही 16 मंत्री हैं। जयपुर, भरतपुर से 4-4, बीकानेर-दौसा से 3-3 मंत्री हैं। बांसवाड़ा, अलवर और झुंझुनू में 2-2 मंत्री बनाए हैं। बाड़मेर, जैसलमेर, भीलवाड़ा, करौली, कोटा, बारां, चित्तौड़गढ, बूंदी, जालौर से एक एक मंत्री हैं। जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा कोई मंत्री नहीं है।