निपाह वायरस पर AIIMS एक्सपर्ट ने चेताया- फल को बिना धोए खाने की आदत जानलेवा साबित हो सकती है

केरल में रविवार को कोझिकोड में 12 वर्षीय वर्षीय मोहम्मद हाशिम की मौत निपाह वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद हो गई। राज्‍य में निपाह वायरस के लक्षण वाले लोगों की संख्या बढ़कर 11 हो गई। केरल में मृतक के संपर्क में आए लोगों की संख्या सोमवार को बढ़कर 251 हो गई है। 251 में से 129 स्वास्थ्यकर्मी हैं। जिनमें से अत्यंत जोखिम वाले 54 संपर्कों में से 30 स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोझीकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सोमवार को यह बात कही। इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ आशुतोष बिस्वास के अनुसार, फ्रूट बैट्स के चलते यह वायरस फैल सकता है।

उन्होंने कहा, 'फ्रूट बैट्स निपाह वायरस फैलाते हैं और वे ट्रांसमिशन का मुख्य कारण है। फ्रूट बैट्स एक खास क्षेत्र में रहते हैं। अगर वे एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो जाहिर सी बात है वायरस फैलेगा। हमारे पास इस बीमारी का अभी कोई विशेष इलाज नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'हमें यह समझना होगा कि यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसकी मृत्युदर अधिक है।'

डॉ बिस्वास ने कहा, 'पहले हमने भारत में देखा है कि फ्रूट बैट्स हमारे घरेलू जानवरों जैसे सूअर, बकरी, बिल्ली, घोड़े और अन्य में भी वायरस ट्रांसमीट कर सकते हैं। इसलिए, जानवरों से मनुष्यों में इस वायरस का पहुंचना बहुत खतरनाक है। इसे हम स्पिलओवर कहते हैं।'

वायरस के स्रोत का पता लगाने की जरूरत के मद्देनजर डॉ बिस्वास ने कहा, 'एक बार जब यह वायरस ह्यूमन सर्कुलेशन में आ जाता है तो यह ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमीट होने लगता है। इसका ट्रांसमिशन बहुत तेज़ होता है इसलिए, इसकी पहचान करना महत्वपूर्ण है।'

उन्होंने कहा, 'गिरे हुए फलों को खाना, वह भी बिना धोए खाना, एक बहुत ही खतरनाक आदत है। यहीं से वायरस जानवर से इंसान के भीतर प्रवेश कर सकता है।'

निपाह खतरनाक वायरस है : WHO

आपको बता दे, मई, 2018 में केरल में सबसे पहले निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इस वायरस की चपेट में आने के बाद 17 लोगों की मौत हुई थी। विश्‍व स्‍वास्‍य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) एक खतरनाक वायरस है। यह जानवरों एवं इंसानों में एक गंभीर बीमारी को जन्‍म देता है। निपाह वायरस के बारे में सर्वप्रथम 1998 में मलेशिया के कम्‍पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। इसके चलते इस वायरस का नाम निपाह रख दिया गया। उस वक्‍त इस वायरस के वाहक सूअर होते थे।

वर्ष 2004 में बांग्‍लादेश में निपाह वायरस तेजी से फैला। उस वक्‍त निपाह वायरस के प्रसार के लिए कोई माध्‍यम नहीं था। हालांकि, निपाह वायरस से संक्रमित लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था। उस वक्‍त माना गया कि इस तरल पदार्थ तक वायरस को लाने वाले चमगादड़ थे। चौंकाने वाली बात यह है कि हाल में वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि हुई है।

इंसानों में निपाह वायरस के संक्रमण से सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके साथ जानलेवा इंसेफ्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है। यह एक जानलेवा बीमारी है। इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्‍शन या औषधि नहीं बनी है।

CDC के मुताबिक निपाह वायरस का संक्रमण एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है। इस बीमारी से द‍िमाग को क्षति होती है। 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद यह वायरस 3 से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है।