बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट की विशेष अदालत ने शुक्रवार को पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले, गुरुवार को एनआईए के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए दोषियों को फांसी की सजा की मांग की थी। गुरुवार को इस मामले में दोनों पक्षों की तरफ से बहस हुई थी। एनआईए के वकील ने कोर्ट को बताया कि आतंकियों की लोगों की हत्या की योजना थी। कई बड़े लोग निशाने पर थे। बता दें कि 7 जुलाई 2013 को महाबोधि मंदिर और उसके आसपास 9 ब्लास्ट हुए थे। इनमें एक बौद्ध भिक्षु समेत 5 लोग जख्मी हुए थे।
इन पांचों को मिली सजाहैदर- रांची के डोरंडा का है। 2014 से बेउर जेल में बंद है। ब्लास्ट का सरगना है। बौद्ध भिक्षु बनकर किया ब्लास्ट।
मुजीबुल्लाह- रांची के ओरमांझी थाने के चकला गांव का निवासी है। 2014 से बेउर जेल में बंद है।
इम्तियाज- रांची के ध्रुवा का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। ब्लास्ट करने में इसने हैदर का साथ दिया था।
उमर- छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। इसी के घर पर साजिश रची गई थी।
अजहर- छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। रायपुर में साजिश रचने में शामिल था।
गांधी मैदान में भी किया था ब्लास्ट- आरोपितों को आतंकवादी गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए धन की व्यवस्था करने का भी दोषी पाया है।
- इसमें कम से कम 7 वर्षों की सश्रम कारावास और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। एक आरोपी नाबालिग था। उसकी सुनवाई जेजे बोर्ड गायघाट में हुई थी।
- पिछले नवंबर में बोर्ड ने उसे दोषी पाते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई थी। 27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान की हुंकार रैली ब्लास्ट में भी पांचों आतंकियों पर आरोप है। सुनवाई 4 जून से होगी।
4 साल बाद आया फैसला- बोधगया सीरियल ब्लास्ट मामले में 25 मई को 4 साल बाद एनआईए कोर्ट का फैसला आया था।
- 7 जुलाई 2013 को बोधगया में हुए नौ धमाकों में पांच आरोपियों के खिलाफ एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने फैसला सुनाया।
- इस धमाके में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु और म्यांमार के तीर्थ यात्री घायल हो गए थे। पटना सिविल कोर्ट में 2013 में गठित एनआईए कोर्ट का यह पहला फैसला है।
बोधगया ब्लास्ट में एनआईए ने 90 गवाहों को पेश किया। विशेष न्यायाधीश ने 11 मई 2018 को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना निर्णय 25 मई तक सुरक्षित रख लिया था। सीरियल ब्लास्ट का सरगना हैदर अली उर्फब्लैक ब्यूटी था। आरोपितों मे इम्तियाज अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, मुजिबुल्लाह अंसारी हैं। कुछ रांची के रहने वाले हैं और कुछ छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हैं। ये सभी पटना के बेउर जेल में बंद है।
एनआईए ने मामले की जांच करने के बाद सभी आरोपों पर 3 जून 2014 को चार्जशीट किया था। 7 जुलाई 2013 सुबह 5:30 से 6:00 के बीच महाबोधि मंदिर में एक के बाद एक धमाके हुए थे आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। सिलेंडर बम रखा गया था। जिसमे टाइमर लगा हुआ था। एनआईए ने जांच मे यह भी माना है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का बदला लेने के लिए गया मे ब्लास्ट किया गया था। ब्लास्ट के लिए हैदर ने रायपुर में रहने वाले सिमी के सदस्य उमर सिद्दीकी से संपर्क किया था। हैदर रायपुर गया था। राजा तालाब स्थित एक मकान में जिहाद के नाम पर प्रवचन दिया गया।
हैदर को बम विस्फोट का सामान भी वही दिया गया। हैदर ने ब्लास्ट के पहले बोधगया का पांच बार दौरा किया। वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था और उसके साथ ही आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। हैदर ने बौद्ध भिक्षु बनकर मंदिर में प्रवेश किया।
धमाके के पहले 5 बार की थी रेकी- जांच में यह बात भी सामने आई थी कि आतंकियों ने रायपुर में साजिश रची थी। धमाके को अंजाम देने से पहले पांच बार रेकी की थी।
- इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हैदर अली ने रायपुर में रहने वाले सिमी के सदस्य उमर सिद्दीकी से संपर्क किया था। इसके लिए हैदर रायपुर गया था। वहीं, बोधगया ब्लास्ट की साजिश रची गई थी।
- राजा तालाब स्थित एक मकान में हैदर का जिहाद के नाम पर ब्रेनवॉश किया गया। उसे धमाके का सामान भी वहीं दिया गया। हैदर ने ब्लास्ट से पहले बोधगया का चार-पांच बार दौरा कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। हैदर और उसके साथी सिमी के सदस्य थे। हैदर ने बौद्ध भिक्षु बनकर मंदिर में प्रवेश कर विस्फोट किया था।