
नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक समीकरण एक बार फिर से बदलते नजर आ रहे हैं। भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों के भूमि मार्ग से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें रेडीमेड गारमेंट्स (RMG), प्रोसेस्ड फूड, प्लास्टिक उत्पाद, और लकड़ी के फर्नीचर जैसी वस्तुएं शामिल हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कुछ ही सप्ताह पहले बांग्लादेश ने भारत से यार्न के आयात पर भूमि मार्गों के जरिए रोक लगाई थी। माना जा रहा है कि भारत की यह प्रतिक्रिया व्यापारिक संतुलन बनाए रखने और घरेलू उद्योग को संरक्षण देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।
क्या है नया प्रतिबंध और इसका दायरा?विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब इन उत्पादों को असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और पश्चिम बंगाल के कुछ सीमावर्ती कस्टम स्टेशनों से भारत में लाने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि, ये वस्तुएं अब भी कोलकाता पोर्ट और न्हावा शेवा पोर्ट के माध्यम से आयात की जा सकती हैं। इससे स्पष्ट है कि भारत सरकार ने पूरी तरह से आयात बंद नहीं किया है, बल्कि भूमि मार्ग पर नियंत्रण लगाया है — विशेष रूप से उन मार्गों पर जो बांग्लादेश से सीधे सटे हुए हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों में असर का अनुमानइस फैसले का सीधा असर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर पड़ सकता है। इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी वस्तुओं की आपूर्ति नजदीकी सीमाओं से होती रही है, जिससे लागत कम रहती थी। अब भूमि मार्ग बंद होने से जरूरी सामानों की कीमतों में इजाफा हो सकता है। साथ ही, लॉजिस्टिक चुनौतियां और सप्लाई चेन बाधित होने का जोखिम भी बढ़ गया है।
घरेलू उद्योग को मिलेगा संरक्षण?विशेषज्ञों का मानना है कि रेडीमेड गारमेंट्स और प्रोसेस्ड फूड के आयात पर यह रोक भारतीय MSME सेक्टर के लिए फायदेमंद हो सकती है। बांग्लादेश से आने वाले सस्ते गारमेंट्स की वजह से भारत के छोटे व मध्यम दर्जे के गारमेंट निर्माताओं को नुकसान हो रहा था। यह प्रतिबंध घरेलू उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा में राहत देने का काम करेगा और 'मेक इन इंडिया' अभियान को भी अप्रत्यक्ष रूप से बल देगा।
बांग्लादेश के लिए व्यापारिक झटकाभारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2022-23 में बांग्लादेश ने भारत से लगभग 14 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि उसका भारत को निर्यात महज 2 अरब डॉलर रहा। इस असंतुलन के बावजूद दोनों देशों ने लंबे समय से व्यापार को संतुलित रखने की कोशिश की है। लेकिन अब बढ़ते प्रतिबंधों से यह संतुलन प्रभावित हो सकता है।
ट्रांस-शिपमेंट सुविधा का अंत और आगे की राहभारत ने हाल ही में बांग्लादेश के लिए ट्रांस-शिपमेंट सुविधा (जहां भारतीय क्षेत्र से होकर सामान बांग्लादेश पहुंचता था) भी समाप्त कर दी है। इससे बांग्लादेश को तीसरे देशों से आने वाले कंटेनर और कार्गो के लिए विकल्प तलाशने होंगे, जिससे उसकी लॉजिस्टिक लागत बढ़ सकती है।
हालांकि, यह तनावपूर्ण स्थिति दोनों देशों के लिए चेतावनी भी है — अगर द्विपक्षीय व्यापार में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा, तो इससे व्यापारिक रिश्ते स्थायी रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
क्या आने वाले दिनों में राहत संभव है?भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध हमेशा से भौगोलिक नजदीकी और सांस्कृतिक साझेदारी के कारण मजबूत रहे हैं। हालांकि, हाल के प्रतिबंधों ने इन रिश्तों में तनाव पैदा किया है। अब आवश्यकता इस बात की है कि दोनों देश संवाद के रास्ते पर लौटें और व्यापारिक प्रतिबंधों के बजाय विनियामक समाधान खोजें।
यह मुद्दा न केवल व्यापार से जुड़ा है, बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता और आर्थिक सहयोग की दिशा में भी एक कसौटी बन चुका है।