चांद पर भी चलेगा इंटरनेट, ये कंपनी देगी सुविधा

चंद्रमा पर पहला सेल्युलर नेटवर्क बनाने के लिए नासा ने नोकिया कंपनी को चुना है। नोकिया (Nokia) का कहना है कि अंतरिक्ष में पहला वायरलेस ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशन सिस्टम 2022 के अंत में चंद्रमा की सतह पर बनाया जाएगा। नोकिया ने कहा कि नेटवर्क को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि वह चांद पर लॉन्चिंग और लैंडिंग की विषम परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होगा। इसे बेहद कठोर आकार, वजन और बिजली की कमी को पूरा करने के लिए बेहद कॉम्पैक्ट रूप में चंद्रमा पर भेजा जाएगा।

कंपनी ने कहा इसके लिए टेक्सास बेस्ड प्राइवेट स्पेस क्राफ्ट डिजाइन कंपनी इन्टुएटीव मशीनों के साथ साझेदारी करेगी, जो नोकिया के इक्विपमेंट्स चांद पर पहुंचाएगी। नेटवर्क खुद को कॉन्फिगर करेगा और चंद्रमा पर 4G/LTE कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित करेगा, नोकिया ने कहा- हालांकि उद्देश्य अंततः 5G पर स्विच करने का होगा। नोकिया ने कहा कि हम 5G नेटवर्क की बजाए 4G/LTE का उपयोग करेंगे, जो पिछले कई दशकों से दुनियाभर में उपयोग किया जा रहा है और अपनी विश्वसनीयता साबित कर चुका है। हालांकि कंपनी 'LTE की उत्तराधिकारी तकनीक, 5G के स्पेस एप्लीकेशंस को भी आगे बढ़ाएगी'।

कंपनी ने बताया कि नेटवर्क अंतरिक्ष यात्रियों को आवाज और वीडियो कम्युनिकेशन करने की सुविधाएं देगा साथ ही टेलीमेट्री और बायोमेट्रिक डेटा एक्सचेंज और रोवर्स और अन्य रोबोटिक डिवाइसेस को तैनात और रिमोटली कंट्रोल की भी अनुमति देगा।

फिनिश कंपनी ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य के लिए योजना बना रही कि इंसान चांद पर दोबारा लौटेंगे और बस्तियां बसाएंगे। नासा का टारगेट 2024 तक इंसानों को चंद्रमा पर ले जाने का है और अपने आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के तहत लंबे समय तक वहां मौजूदगी दर्ज कराने का है।

नासा ने चंद्रमा पर 4G सेल्युलर नेटवर्क (4G Network) स्थापित करने के लिए 14.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 103 करोड़ रुपए) नोकिया को दिए हैं। यह अनुदान नासा के 'टिपिंग पॉइंट' सिलेक्शन के तहत साइन किए गए 370 मिलियन डॉलर (लगभग 2714 करोड़ रुपए) के अनुबंध का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए एडवांस्ड रिसर्च और डेवलपमेंट को आगे बढ़ाना है। नासा ने अपने कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड अनाउंसमेंट में बताया कि यह सिस्टम चंद्रमा की सतह पर लंबी दूरी के कम्युनिकेशन को सपोर्ट कर सकता है, स्पीड बढ़ सकती है और वर्तमान मानकों की तुलना में अधिक विश्वसनीयता प्रदान कर सकता है।

क्या है नासा का आर्टेमिस प्रोग्राम का मकसद?

आर्टेमिस प्रोग्राम के साथ नासा 2024 तक चंद्रमा पर पहली महिला और अगले आदमी को उतारेगा, जो पहले से कहीं अधिक चंद्रमा की सतह का पता लगाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करेगा। इसके लिए अपने कमर्शियल और अंतर्राष्ट्रीय पार्टनर्स के साथ साझेदारी भी की है। इस प्रोग्राम के तहत, इंसान चंद्रमा के उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां न पहले कभी पहुंचा जा सका, न ही देखा गया।

नासा का कहना है कि हम रोबोटिकली चांद पर लौटेंगे जिसकी शुरुआत अगले साल के शुरुआत से हो जाएगी और चार साल के भीतर हम अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेंगे और दशक के अंत तक लंबे समय तक वहां उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल के अनुसार, नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्रिडेनस्टाइन ने एक लाइव प्रसारण में कहा कि नासा को चंद्रमा पर रहने और काम करने के लिए जल्दी से नई तकनीकों का विकास करना चाहिए, यदि वह चाहता है कि 2028 तक अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर काम करें।

ब्रिडेनस्टाइन ने कहा, 'हमें ऐसे पावर सिस्टम की जरूरत है, जो चंद्रमा की सतह पर लंबे समय तक रह सकता है।'

नोकिया के रिसर्च आर्म, बेल लैब्स, ने सोशल मीडिया पर बताया कि 'कंपनी ऐसे नेटवर्क को तैयार करने का इरादा रखती है जो चंद्रमा रोवर्स और नेविगेशन का वायरलेस सपोर्ट प्रदान करने के साथ ही वीडियो स्ट्रीमिंग भी सपोर्ट करता हो।'