'टच द सन' : फ्लोरिडा से सूरज की जानकारी जुटाने पार्कर सोलर प्रोब हुआ रवाना, सूर्य के नजदीक सात साल करेगा अध्ययन

नासा का मिशन पार्कर सोलर प्रोब का ‘टच द सन’ मिशन रविवार को अपने ऐतिहासिक सफर पर रवाना हो गया। नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूरज के निकट जाकर उसके बारे में जानने की कोशिश करेगा और नासा को कई जानकारियां देगा। इस यान को शनिवार को ही इसे नासा के केनेडी सेंटर से लॉन्च किया जाना था, लेकिन खराब मौसम और तकनीकी खराबी की वजह से वैज्ञानिकों ने एक दिन के लिए टाल दियाा। 1.5 अरब डॉलर की लागत से तैयार यह मिशन 24 घंटे की देरी से रवाना हुआ। इस मिशन को 12 अगस्त को ईस्टर्न डे टाइम के अनुसार 3.31 बजे केप कानावेरल एयरफोर्स स्टेशन से रवाना किया गया।

कार के आकार वाला यह यान 4.30 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से सूरज के 24 चक्कर लगाएगा। सूरज तक पहुंचने की इस यात्रा के दौरान यह यान कई ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण मार्ग से होकर गुजरेगा। इसमें बुध ग्रह का गुरुत्वाकर्षण मार्ग भी इसकी मदद करेगा। सूरज के इतने करीब पहुंचने वाला यह अब तक पहला यान होगा। इससे पहले लांच किए गए मिशन सफल नहीं हो सके थे। इससे पहले शनिवार को तकनीकी कारणों से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका था।

अंतरिक्ष में पार्कर सोलर प्रोब को लॉन्च करने के बाद शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा कि आने वाले कुछ सालों में हमें बहुत देखने को मिलेगा। इस एतिहासिक सफलता के बाद नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्रिडेंस्टिन ने पूरी टीम को उनके अद्भुत काम के लिए बधाई दी। नासा ने अपने इस मिशन का नाम 'टच द सन' रखा है। यह स्पेसएयरक्राफ्ट नासा के इतिहास का सबसे तेज गति वाला है, जिसकी 190किमी/सेकेंड स्पीड होगी।

सूर्य के नजदीक सात साल करेगा अध्ययन

पार्कर सोलर प्रोब सात साल तक सूरज के इर्दगिर्द चक्कर लगाते हुए अध्ययन करेगा। यह यान सूरज की बाहरी परत कोरोना के नजदीक रहेगा। कोरोना का ही तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस होता है। हालांकि कोरोना को पार करने के बाद सूरज की परत का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। कोरोना को इनसानी आंखों से सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। यह धुंधला सा झिलमिलाता वातावरण होता है।

उड़नतश्तरी बनेगी सन प्रोब की सनस्क्रीन

- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को सूरज के अत्यधिक तापमान से बचाने के लिए 8 फुट की उड़न तश्तरी बनाई है।
- एपीएल में मिशन प्रोजेक्ट साइंटिस्ट निकी फॉक्स ने बताया कि उनकी टीम ने इस रक्षा कवच को उड़न तश्तरी नाम दिया है।
- डेल्टा-IV रॉकेट इसी 72 मीटर लंबे और 15 मीटर चौड़े रॉकेट से पार्कर यान भेजा गया। इस रॉकेट को पार्कर के साथ जमीन से 230 फीट की ऊंचाई पर रखा गया था।
- इसे एक दशक की मेहनत के बाद बनाया जा सका है। यह 4.5 इंच मोटी कार्बन फोम की परत है। यान का जो हिस्सा सूरज की तरफ होगा उस पर सफेद सेरामिक पेंट की परत चढ़ाई गई है, ताकि यह सूरज की गर्मी को वापस भेज सके।
- 8 फुट चौड़ाई वाली इस सुरक्षा परत का वजन तकरीबन 73 किलोग्राम है। यह सूरज के भयंकर तापमान और पार्कर प्रोब के बीच मजबूती से बनी रहेगी।

भौतिकशास्त्री के नाम पर विमान का नाम

- इस यान का नाम फिजिसिस्ट यूजीन न्यूमैन पार्कर के नाम पर रखा गया है। इन्होंने तारों द्वारा ऊर्जा संचारित करने की कई अवधारणाएं पेश की थीं।
- नासा के इस यान का नाम पहली बार किसी जीवित वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है।
- 91 साल के पार्कर ने पिछले साल इस यान को देखा था, जिसके ऊपर उनके नाम का अंतिम हिस्सा अंकित है। इन्होंने 1958 में पहली बार अनुमान लगाया था कि सौर हवाएं होती हैं। आवेशित कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की धारा होती हैं, जो सूर्य से निकलती रहती हैं। जब ये धाराएं तेजी से निकलती हैं, तो धरती पर उपग्रह लिंक प्रभावित होता है। ऐसा क्यों होता है, अब मिशन इस रहस्य से ही पर्दा उठाएगा।

यान क्या खोजेगा

- यान भेजने का मकसद है कि वैज्ञानिक सूर्य से निकलने वाली किरणों और सौर आंधी पर शोध करना चाहते हैं। सौर आंधी का असर हम पर पड़ता है। वह जानना चाहते हैं कि क्यों कभी टेक्नोलॉजी पर, तो कभी स्पेसक्रॉफ्ट पर या फिर क्यों संचार सेवाएं बाधित हो जाती हैं। पावर ग्रिड के काम में रुकावट आती है। बड़ा सवाल यह है कि इस मिशन के माध्यम से ऐसे ही कई सवालों के जवाब ढूंढे जाएंगे।

सूर्य की सतह से क्यों ज्यादा गर्म है कोरोना, अब पता चलेगा

- हम देखते हैं कि हम जब भी आग के पास होते हैं तो गर्मी लगती है। दूर हो जाते हैं तो स्थिति सामान्य हो जाती है, पर सूर्य के साथ ऐसा नहीं है। सूर्य की सतह 10 हजार डिग्री फॉरेनहाइट तक गर्म है। इसका बाहरी वातावरण कोरोना के तापमान का लाखों डिग्री है। सूर्य की सतह से कोरोना क्यों गर्म है, इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए वैज्ञानिकों की खोज को मिलेगा विराम।