चीन में आज से शुरू हो रहे दो दिन के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीचीन पहुंच गए हैं। इस दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षी वार्ता होगी। ये सम्मेलन चीन के तटीय शहर चिंगदाओ में हो रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी 42 दिन के भीतर दूसरी बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे। भारत, चीन और रूस व उनके नजदीकी सहयोगी देशों पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान व उज्बेकिस्तान के शीर्ष नेता आज यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र होंगे। चिंगदाओ में मोदी शी समेत एससीओ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ कई द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। इस बैठक में एससीओ सदस्यों का जोर सुरक्षा, सहयोग, आतंकवाद विरोध, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक विनिमय के क्षेत्रों पर रहेगा। भारत इस बैठक में आतंकवाद और पाकिस्तान का मुद्दा उठा सकता है।
माना जा रहा है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में आतंकवाद से निपटने के तरीके और क्षेत्रीय व्यापार व निवेश को बढ़ावा देने पर भारतीय भूमिका का खाका खीचेंगे। साथ ही दुनिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों से जूझने में भारतीय दृष्टिकोण भी स्पष्ट करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन से इतर अन्य देशों के साथ होने जा रही द्विपक्षीय वार्ताओं में भी आतंक से मुकाबले पर एकराय बनाने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री की कोशिश सम्मेलन के निर्णायक प्रस्तावों में सीमापार के आतंकवाद पर अपनी चिंताओं को शामिल कराने की रहेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यात्रा से अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ''9 और 10 जून को एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मैं चीन के चिंगदाओ में रहूंगा। एक पूर्ण सदस्य के तौर पर भारत के लिए यह पहला एससीओ शिखर सम्मेलन होगा. एससीओ देशों के नेताओं के साथ बातचीत होगी और उनके साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे।''
बता दें कि साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह पांचवीं चीन यात्रा होगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी शहर वुहान में 27 और 28 अप्रैल को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लिया था।
औपचारिक होगी किंगडाओ में होने वाली मुलाकातचीन इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेपरेरी इंटरनेशनल रिलेशंस के दक्षिण व दक्षिणपूर्व एशियाई और ओशियनियन संस्थान के निदेशक हु शीशेंग ने बताया, "यह एक महत्वपूर्ण मुलाकात है, लेकिन स्वरूप में प्रतीकात्मक है। इसकी तुलना वुहान से नहीं की जा सकती। किंगडाओ में होने वाली मुलाकात औपचारिक होगी।"
पुतिन से भी मिलेंगे मोदीमोदी शनिवार को शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे. फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे. बता दें कि मोदी और पुतिन के बीच पिछले महीने सोच्चि में अनौपचारिक मुलाकात हुई थी.
इन पर हो सकती है बातएससीओ शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में मोदी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बढ़ावा देने का मुद्दा उठा सकते हैं।
कौन-कौन होगा शामिलपाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन भी शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं में से एक ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की उपस्थिति होगी। चीन ने उन्हें फोरम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। रूहानी की उपस्थिति का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते से अपने हाथ वापस खींच लिए हैं। चीन ने इस परमाणु समझौते की रक्षा का संकल्प लिया हुआ है। बता दें कि मंगोलिया, अफगानिस्तान और बेलारूस के साथ ईरान को शिखर सम्मेलन में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया है।
शंघाई सहयोग संगठन क्या हैसाल 1996 में रूस, चीन, ताजिकिस्तान, कजाकस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों ने आपसी तालमेल और सहयोग को लेकर सहमत हुए थे और तब इस शंघाई-5 के नाम से जाना जाता था।
फिर चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने जून 2001 में इस संगठन की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी तथा साइबर सुरक्षा के खतरों आदि पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा करके आतंकवाद विरोधी और सैन्य अभ्यास में संयुक्त भूमिका निभाने का मंतव्य रखता है। अब यह संगठन विश्व की 40 प्रतिशत आबादी और जीडीपी के करीब 20 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करेगा।
भारत इसमें कैसे शामिल हुआसितंबर 2014 में भारत ने शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया। रूस के उफ़ा में भारत को शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य का दर्जा मिलने का ऐलान 2015 में हुआ। उफा में हुए सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ दोनों मौजूद थे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए भारत और पाकिस्तान की सदस्यता मंजूर करने की घोषणा की थी।
ये हैं SCO के सदस्य चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान।
भारत के लिए इसका महत्वयह संगठन आतंकवाद-विरोधी है, इसलिए भारत को आतंकवाद से निपटने के लिए समन्वित कार्यवाही पर जोर देने तथा क्षेत्र में सुरक्षा एवं रक्षा से जुड़े विषयों पर व्यापक रूप से अपनी बात रखने में आसानी होगी। आज आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा दुश्मन है। शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने या आतंकवादियों के प्रशिक्षण से निपटने के लिए समन्वित प्रयास करने में सफल हो सकते हैं। ऐसे में आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरता से संघर्ष को लेकर यह संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस संगठन के अधिकांश देशों में तेल और प्राकृतिक गैस के प्रचुर भंडार हैं। इससे भारत को मध्य-एशिया में प्रमुख गैस एवं तेल अन्वेषण परियोजनाओं तक व्यापक पहुंच मिल सकेगी। यह संगठन पूरे क्षेत्र की समृद्धि के लिए जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, कृषि, ऊर्जा और विकास की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित कर सकता है। इससे भारत को भी लाभ होगा।