अनाज मंडी अग्निकांड : दोस्त को आखिरी कॉल में कहा - भागने का रास्ता नहीं है... ख़त्म हूं मैं भइया आज तो... मेरे घर का ध्यान रखना...

भागने का रास्ता नहीं है... ख़त्म हूं मैं भइया आज तो.... मेरे घर का ध्यान रखना... अब तू ही है उनका ख्याल रखने को... ये आखिरी शब्द थे दिल्ली के अनाज मंडी स्थित एक फैक्ट्री में रविवार सुबह आग लगने की घटना में मारे गए मुशर्रफ अली मूसा के। अनाज मंडी में लगी आग ने 43 जिंदगियां लील लीं। इसी में एक व्यक्ति जिसका नाम मुशर्रफ अली मूसा है अपने पड़ोसी को फोन लगाया था। बातचीत के दौरान वह कई बार रोने लगा, उसकी आवाज लड़खड़ा रही थी। बिल्डिंग में धुआं भर जाने के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वो अपने पड़ोस में रहने वाले दोस्त के सामने गिड़गिड़ा रहा था। वो मिन्नतें कर रहा था। वो कह रहा था कि मैं मर रहा हूं। मेरे मरने के बाद परिवार को देखने वाला कोई नहीं है। अब तुम ही सहारा हो। उनका ख़्याल रखना। 30 साल के मुशर्रफ अली उर्फ मूसा की इस फोन कॉल की रिकॉर्डिंग से उस भयावह मंजर का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसने बिजनौर में अपने पड़ोसी मोनू (शोभित अग्रवाल) को रविवार की सुबह तब फोन लगाया था जब उसे लगा कि अब उसका बचना मुश्किल है। वह चार साल से फैक्ट्री में काम कर रहा था। चार बच्चों का पिता मूसा बातचीत के दौरान कराह रहा था।

मुशर्रफ अली सुबह 4 बजे के करीब पड़ोस के दोस्त को फोन करता है.. वो कहता है... मोनू, भैया खत्म होने वाला हूं आज मैं...आग लगने वाली है यहां. तुम आ जाना करोल बाग. गुलजार से नंबर ले लेना...

पड़ोसी पूछता है- कहां, दिल्ली?

मुशर्रफ अली कहता है- हां..

पड़ोसी कहता है तुम किसी तरह निकलो वहां से...

मुशर्रफ कहता है- नहीं है कोई रास्ता.. भागने का रास्ता नहीं है. ख़त्म हूं मैं भइया आज तो. मेरे घर का ध्यान रखना. अब तू ही है उनका ख्याल रखने को.

इसी बीच उसको घुटन महसूस होती है. वो कहता है- अब तो सांस भी नहीं लिया जा रहा है.

पड़ोसी पूछता है आग कैसे लगी.. वह कहता है- पता नहीं.. पड़ोसी सलाह देता है कि पुलिस, फायर ब्रिगेड किसी को फोन करो और निकलने की कोशिश करो...

मुशर्रफ अल्लाह को याद करता है और कहता है भाई अब तो सांस भी नहीं ली जा रही है. जैसे-जैसे वो मौत के क़रीब जा रहा था उसे अपने परिवार की चिंता सता रही थी. जब मुशर्रफ, मौत को अपने सामने देखने लगा तो रोने लगा. कहता है- घर का ध्यान रखना भाई.. या अल्लाह..

मरते-मरते मुशर्रफ को इस बात की चिंता थी कि अगर परिवार को सीधे उसके मरने की खबर लगी तो कहीं और बुरा न हो जाए. इसलिए वो पड़ोसी से कहता है- घर पर सीधे मत बताना. पहले बड़े लोगों में बात करना.. कल लेने आ जाना, जैसे समझ में आए..

मुशर्रफ की तीन बेटी और एक बेटा है. वो पड़ोसी से कहता है कि देखो तुम पर ही भरोसा है. जब तक बच्चे बड़े न हो जाएं, उनका ख्याल रखना...

फिर उसकी आवाज आनी बंद हो जाती है.. पड़ोसी फोन पर हैलो-हैलो कहता रहता है. तभी फिर मुशर्रफ की आवाज आती है, वो कहता है- रोना मत...

फिर मुशर्रफ बताता है कि फ्लोर तक आग पहुंच गई है... वो कहता है कि मर भी जाऊंगा तो रहूंगा वहीं पर... यहां आने की तैयारी कर लो.. और सीधे घर पर मत बताना किसी को...

इसके बाद वो फोन कट कर देता है. लेकिन पड़ोसी का दिल नहीं मानता वो फिर से मुशर्रफ को फोन मिलाता है..

मुशर्रफ फोन उठाता है... वह दो पल सांस के लिए संघर्ष कर रहा था...

मोनू ने उसे ढाढस बंधाया, 'तू टेंशन मत ले... आ रहे हैं भैया... वो गाड़ी नहीं आई क्या? पानी वाली? कोशिश कर बचने की... निकलने का रास्ता नहीं है?' जवाब में मूसा ने कहा, 'भागने का कोई रास्ता नहीं है, भैया।' दर्द से उसकी कराह बढ़ गई जो फोन कॉल में रिकॉर्ड हो गई है।

बता दे, मूसा के भाई फुरकान सलीम ने एलएनजेपी अस्पताल के बाहर कहा, 'मैंने उसकी लाश पहचान ली है। पुलिस ने मुझे कहा कि अंत्यपरीक्षण (ऑटोप्सी) के बाद शव को सौंप देंगे। उसके शरीर पर जलने का कोई निशान नहीं था। लगता है कि वह दम घुटने से मर गया। मुझे उसके बच्चों की चिंता हो रही है।'