वक्फ संपत्तियों को लेकर हिंसा की आग में झुलसा मुर्शिदाबाद, एक लाख एकड़ ज़मीन पर है वक्फ बोर्ड का कब्ज़ा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ संपत्तियों को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले बैठा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, कई सरकारी गाड़ियां फूंक दी गईं और हालात इतने बिगड़े कि बाप-बेटे समेत तीन लोगों की जान चली गई। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने 150 लोगों को गिरफ्तार किया है।

हिंसा की तीव्रता को देखते हुए यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आख़िर मुर्शिदाबाद में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, मुर्शिदाबाद ज़िले में करीब 4,500 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें से ज़्यादातर खेती योग्य भूमि है। वक्फ बोर्ड के पास लगभग एक लाख एकड़ ज़मीन है, जो अपने आप में चौंकाने वाली संख्या है। रिपोर्ट के अनुसार, इन संपत्तियों में से 550 से अधिक भूखंडों पर स्थानीय रसूखदारों द्वारा अवैध कब्ज़ा किया गया है।

टीएमसी सांसद और राज्य वक्फ बोर्ड के सदस्य खलीलुर रहमान, जो मुर्शिदाबाद के जंगीपुर से सांसद हैं, उन्होंने माना कि वक्फ ज़मीनों पर अतिक्रमण हो रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि टीएमसी के कुछ नेताओं की भी इस अतिक्रमण में भूमिका रही है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड मिलकर अवैध कब्ज़ों को हटाने की दिशा में प्रयासरत हैं।

इस बीच, बीएसएफ और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) हालात को सामान्य करने में जुटे हैं और कुछ हद तक सफलता भी मिली है। हिंसा की घटनाएं धीरे-धीरे कम हो रही हैं, लेकिन राजनीतिक बयानबाज़ी और तकरार तेज़ हो गई है।

हाल ही में टीएमसी के ही एक अन्य सांसद बापी हलदर ने दक्षिण 24 परगना में एक जनसभा में विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि “जो वक्फ ज़मीनों पर कब्ज़ा करेंगे, उनके हाथ तोड़ दिए जाएंगे और आंखें निकाल ली जाएंगी।”

उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने टीएमसी पर हमला बोला और पूछा, “क्या पुलिस ने बापी हलदर के खिलाफ कोई कार्रवाई की?” इसके साथ ही उन्होंने वक्फ विवाद को कट्टरपंथी ताकतों की साजिश बताया और आरोप लगाया कि ये लोग हिंदुओं को बंगाल से मिटाने के बहाने ऐसे प्रदर्शन कर रहे हैं।

हिंसा की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र को CAPF तैनात करने का निर्देश दिया और कहा कि अदालत इन हालातों पर चुप नहीं बैठ सकती। हालांकि हिंसा ने उत्तर 24 परगना, मालदा और अन्य ज़िलों को भी प्रभावित किया है, लेकिन सबसे ज्यादा असर मुर्शिदाबाद में देखने को मिला है।