
2008 मुंबई आतंकी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा को जल्द ही भारत लाया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच एजेंसी NIA और खुफिया एजेंसी RAW की एक जॉइंट टीम तहव्वुर के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका में मौजूद है। प्रत्यर्पण की सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई है।
अमेरिका की अदालत ने प्रत्यर्पण के लिए सारे जरूरी कागजात भारतीय एजेंसी को सौंप दिए हैं और अदालत की अनुमति भी ले ली गई है। आरोपी राणा ने इस प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने वो याचिका खारिज कर दी है।
पिछले दो महीना से नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी, इंटेलिजेंस ब्यूरो विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की संयुक्त टीम अमेरिका के अधिकारियों से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के मामले में संपर्क में थी और सारी औपचारिकताएं पूरी कर रही थीं। अब यह औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं और 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा।
भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ इससे पहले पिछले महीने ही आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने दलील दी थी कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाता है तो वहां उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है।
इससे पहले तहव्वुर राणा ने अपने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए नई चाल चली थी। राणा ने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका दायर की थी। आवेदन में उसने दावा किया था कि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है, इसलिए भारत में उसे प्रताड़ित किया जाएगा, लिहाजा उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाए। राणा ने अपने खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया था।
किस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा (64) को फिलहाल लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। तहव्वुर राणा 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पिछले महीने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी।
आरोपी तहव्वुर राणा पाकिस्तान का निवासी है। उसने 10 साल पाकिस्तान की सेना में बतौर डॉक्टर काम किया है। फिर नौकरी छोड़ने के बाद वो भारत के खिलाफ नापाक साजिशों में लग गया। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, 2006 से नवंबर 2008 तक आरोपी राणा ने डेविड हेडली और पाकिस्तान के अन्य लोगों के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रची थी। उसने मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी की मदद की थी।
26/11 यानी 26 नवंबर 2008 वो तारीख जिस दिन मुंबई में एक भयानक आतंकी साजिश को अंजाम दिया गया। रात के वक्त 10 आतकंवादियों ने अलग-अलग स्थानों को घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी थी। समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के थे। यह हमले चार दिन बाद यानी 29 नवंबर को खत्म हुए थे। इस आतंकी साजिश में कई मासूम भारतीयों की मौत हो गई थी। 166 बेकसूरों की मौत के साथ हमले में 300 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
हमले के बाद आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। नवंबर 2012 में अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।
ट्रंप ने किया था एलान अमेरिकी यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में बोलते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया था कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है। इसलिए भारत वापस जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी इससे पहले जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, क्योंकि कोर्ट ने मामले में उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह तहव्वुर राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, 'अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को आरोपी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। हम अब मुंबई आतंकी हमले के आरोपी को भारत में जल्द प्रत्यर्पित करने के लिए प्रक्रियात्मक मुद्दों पर अमेरिकी पक्ष के साथ काम कर रहे हैं।'