MUDA: कर्नाटक हाईकोर्ट ने CM सिद्धारमैया, उनकी पत्नी को जारी किया नोटिस, CBI जांच की याचिका पर सुनवाई 28 अप्रैल को

बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती बी.एम. और अन्य को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस RTI कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की उस अपील पर दिया गया है जिसमें मैसूर अर्बन डेवेलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) द्वारा की गई प्लॉट आवंटन की जांच CBI को सौंपने की मांग की गई है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर आरोप है कि MUDA ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी पत्नी को मैसूर के पॉश इलाकों (विजयनगर लेआउट तीसरा और चौथा चरण) में 14 साइट्स आवंटित कीं, जो उनकी पूर्व भूमि के बदले में दी गई थीं। यह जमीन MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई थी।

इससे पहले, 7 फरवरी को सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें लोकायुक्त पुलिस की जांच को CBI को सौंपने की अपील की गई थी। लेकिन अब इस फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील दाखिल की गई है।

मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की खंडपीठ ने कहा, उत्तरदाताओं को नोटिस जारी कर 28 अप्रैल तक जवाब देने को कहा गया है, क्योंकि इसी विषय से संबंधित अन्य अपीलें भी उसी दिन सूचीबद्ध हैं।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अनुच्छेद 226 के तहत एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील स्वीकार्य है? वरिष्ठ अधिवक्ता के जी राघवन ने स्पष्ट किया कि वह किसी न्यायिक आदेश को चुनौती नहीं दे रहे हैं, बल्कि एक रिट ऑफ मांडमस की मांग कर रहे हैं।

सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, बहनोई बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, और देवराजू (जिससे जमीन खरीदी गई थी) समेत अन्य के खिलाफ 27 सितंबर 2024 को लोकायुक्त पुलिस ने FIR दर्ज की थी। मामला विशेष अदालत के आदेश पर दर्ज हुआ था जो पूर्व सांसदों/विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों की सुनवाई करती है।

लोकायुक्त पुलिस ने मामले में ‘बी क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल कर कहा कि मुख्यमंत्री व अन्य के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। हालांकि पुलिस ने यह स्वीकार किया कि MUDA अधिकारियों द्वारा 50:50 स्कीम के तहत की गई साइट्स की आवंटन प्रक्रिया से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है और अधिकारियों के खिलाफ आगे जांच की अनुमति मांगी है।

MUDA की विवादास्पद 50:50 स्कीम के तहत, जिन किसानों की ज़मीन अधिग्रहित की गई थी, उन्हें विकसित की गई भूमि का 50% हिस्सा बदले में दिया गया। इसी योजना के तहत पार्वती बी.एम. को साइट्स दी गईं, जिसकी जांच को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।