इन राज्यों ने मोदी सरकार के रोड सेफ्टी कानून का निकाला जुगाड़, किए ये बदलाव

1 सितंबर से लागू हुए नए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट 2019 (Motor Vehicle Act 2019) से देशभर में हंगामा मचा हुआ है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर ताबड़तोड़ चालान काटे जा रहे हैं और भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है। कई बार वाहन की कीमत से ज्यादा तक का चालान काटा जा रहा है। जिसकी वजह से आमजन परेशान है। वही इन सब पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि केंद्र की तरफ ये जुर्माना कमाई के लिए नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए लगाया गया है। अगर कानून कड़ा होगा तो लोग उसका पालन करेंगे।

हालाकि कई राज्यों ने इस कानून को लागू करने से इनकार कर दिया खासकर एक देश एक विधान की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार अपनी ही राज्य सरकारों से केंद्र द्वारा पारित कानून लागू नहीं करवा पा रही है। कई राज्य इस कानून में बदलाव कर रहे है जिसके बाद जुर्माने की राशी 50 से 75 प्रतिशत कम कर दी गई है। अभी तक किन राज्यों ने चालान की जुर्माना राशि को कम किया है, उनकी लिस्ट यहां है...

गुजरात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात ने सबसे पहले इस एक्ट में बदलाव करते हुए जुर्माने की राशी में औसतन 90% की कटौती की है। बिना हेलमेट पर 1000 रुपये की जगह 500 रुपये का जुर्माना होगा। इसके अलावा अब कार में बिना सीट बेल्ट 1000 रुपये की बजाय 500 रुपये का जुर्माना होगा। गुजरात में बिना लाइसेंस, बीमा, पीयूसी के गाड़ी ड्राइव करने पर 1,500 रुपये का जुर्माना लगेगा। बाइक पर स्टंट करने वालों के लिए पहली बार पकड़े जाने पर 5,000 और दूसरी बार 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। नए वाहन नियमों के मुताबिक गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात करते हुए पकड़े जाने पर जहां 500 का चालान कटेगा वहीं, दूसरी बार ऐसा करने पर 1,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। एम्बुलेंस का रास्ता रोकने पर 10000 की जगह 1000, बाइक पर ओवरलोड पर 1000 की जगह 100 रुपये, बिना रजिस्ट्रेशन की बाइक पर 5000 की जगह सिर्फ 1000 रुपये का जुर्माना।

महाराष्ट्र

एक और भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र ने भी इस कानून के आगे हाथ खड़े कर दिए हैं। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने तो सीधे तौर पर जुर्माने की राशि को कम करने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को खत लिख दिया है। राज्य के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने खत में भारी जुर्माना राशि पर फिर से विचार करने को कहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से गुहार लगाई कि जुर्माना कम किया जाए। सरकार का कहना है कि जुर्माना जनता की जद से बाहर है। इतना जुर्माना लोग नहीं भर सकते।

उत्तराखंड

बीजेपी शासित एक और राज्य उत्तराखंड ने भी जुर्माना राशि को काफी ज्यादा बताया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में नए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया और कई जुर्माने की राशि आधी कर दी। हेलमेट न पहनना, बाइक पर ट्रिपलिंग करना और गाड़ी पर फिल्म चढ़ाना, इन सभी अपराधों के लिए जुर्माने में संशोधन नहीं किया गया है। वहीं बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर जुर्माने की राशि 5000 की जगह राशि घटाकर 2500 रुपये कर दी गई है। लाइसेंस रद्द होने पर गाड़ी चलाने पर दोषी व्यक्ति को अब 5000 रुपये जुर्माना देगा होगा। नए एक्ट के अनुसार ये राशी 10,000 है। वही निर्माता आयतकर्ता और डीलर की ओर से अनाधिकृत वाहनों को बेचने या बेचने पर रखने पर केंद्र सरकार ने 1,00,000 रुपये लगाया है लेकिन राज्य सरकार ने इसे कम कर दिया है। इसके लिए अब केवल 50,000 रुपये जुर्माना देना होगा। ध्वनि प्रदूषण या वायु प्रदूषण संबंधी मानकों का उल्लंघन करने पर केंद्र ने 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे राज्य सरकार ने प्रथम अपराध के लिए 2,500 रुपये और उसके बाद के लिए 5,000 रुपये कर दिया है।

झारखंड

झारखंड में आगामी कुछ महिनों में चुनाव होने वाले है जिसके चलते राज्य सरकार ने भी नए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन करने के संकेत दिए हैं। परिवहन मंत्री सीपी सिंह का मानना है कि जुर्माना बहुत ज्यादा है। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि केवल दो दिन इंतजार करें क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी यहां होंगे और एक दिन बाद खास सत्र बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन, पॉल्यूशन और अन्य नियम तोड़ने पर जुर्माना राशि की समीक्षा की जाएगी। जब परिवहन मंत्री से पूछा गया कि राज्य में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में क्या रघुबर दास सरकार के लिए नया मोटर व्हीकल एक्ट परेशानी खड़ी कर सकता है? जवाब में उन्होंने कहा कि हम लोगों के हितों के लिए चिंतित हैं। जल्द ही जुर्माना राशि में नरमी की जाएगी।

हरियाणा

इस साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य के मुखिया मनोहर लाल खट्टर ने अभी नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि 45 दिनों तक लोगों को ट्रैफिक के नए नियमों के बारे में जागरूक किया जाएगा। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि अन्य प्रदेशों की तरह नए मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों को नरम किया जाएगा। इस पर उन्होंने कहा कि 70-80 फीसदी लोग बिना चालान के मानने वाले नहीं हैं। वे लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। लेकिन चुनावी साल में लोगों को नाराज करने का रिस्क खट्टर भी नहीं लेना चाहेंगे।

इन अहम राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्य भी मोटर व्हीकल एक्ट के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस कानून का संसद में भी विरोध किया था और अब ममता सरकार ने राज्य में इसे लागू नहीं किया है। वहीं, बीजेपी शासित कर्नाटक की राज्य सरकार भी बढ़ी हुई जुर्माना राशि से परेशान नजर आ रही है और जल्द ही जुर्माना राशि में कटौती के संकेत दिए हैं।

राज्य सरकारों के द्वारा कानून में बदलाव किए जाने को लेकर नितिन गडकरी का कहना है कि राज्यों के पास अपने हिसाब से बदलाव करने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने ये भी अपील की है कि किसी राज्य सरकार को राजनीतिक दबाव में नहीं आना चाहिए और कानून को कड़ा ही रखना चाहिए। राज्यों के रुख से यह तो साफ है कि चुनावी साल में जनता पर भारी जुर्माने का बोझ वह कतई लादना नहीं चाहेंगे क्योंकि नाराज जनता सरकारों के लिए ही राज्यों में सत्ता का दरवाजा बंद भी कर सकती है।