आज रात फिर बड़ा ऐलान कर सकते हैं PM मोदी, घोषणा के साथ ही लागू हो जाएगा CAA

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय संभवत: आज नागरिकता संशोधन कानून के नियमों को अधिसूचित करेगा। यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाता है। यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के कुछ सप्ताह बाद आया है कि कानून लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। लोकसभा चुनाव के पहले एक बार फिर से भाजपा और पीएम मोदी एक बड़ा ऐलान करने वाले हैं।

बताया जा रहा है कि नोटिफिकेशन आने के साथ ही यह देश में लागू भी हो जाएगा। हालांकि विपक्ष लगातार इसका विरोध करता रहा है कल ही बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि कुछ भी हो जाए वो बंगाल में NRC को लागू नहीं होने देंगे।

गौरतलब है कि नवंबर 2023 में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोरोना महामारी के चलते इस अधिनियम को लागू करने में कुछ देरी हुई है। सीएए देश का कानून है, जो लोग यह सपना देख रहे हैं कि सीएए लागू नहीं होगा, वह गलत हैं, यह जरूर लागू होगा।

नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। इसे अगले ही दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था। हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी था। देश में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में तकरीबन 83 लोगों की जान चली गई थी।

क्या है CAA में

ज्ञातव्य है कि सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता के लिए फास्ट-ट्रैक मार्ग प्रदान करने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है।

सीएए के जरिए केंद्र सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों — हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी— को भारतीय नागरिकता देना चाहती है। कानून के तहत इन समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे और जो वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

CAA को लागू होने से रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। दिल्ली के शाहीन बाग में धरना और असम के गुवाहाटी में विरोध सभाएं हुईं। कोविड-प्रेरित प्रतिबंधों और लॉकडाउन के दौरान सभी विरोध प्रदर्शन विफल हो गए।

संसद में पारित होने के चार साल बाद भी सीएए लागू नहीं किया गया क्योंकि नियमों और प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना था।