भ्रामक विज्ञापन मामला: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की माफी स्वीकार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बंद किया अवमानना केस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा योगगुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की माफी स्वीकार करने के बाद उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी। योगगुरु रामदेव, बालकृष्ण और उनकी कंपनी की ओर से अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा कि अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के शपथपत्रों के आधार पर अवमानना कार्यवाई बंद कर दी है।

हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने मामले में रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रखा था। उच्चतम न्यायालय भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण द्वारा जारी की गई माफी के साथ ही इस मामले की कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही समाप्त की जाती है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि भविष्य में विज्ञापनों में किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी से बचा जाए और सही और सत्यापन योग्य जानकारी ही प्रस्तुत की जाए।

आपको बता दे की अपनी याचिका में, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ कोविड-19 के एलोपैथिक उपचार के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में केस दर्ज है।एक वीडियो में बाबा रामदेव ने कहा था, ''ऑक्सीजन या बेड की कमी से ज्यादा लोग एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से मरे हैं।''