मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी किताब ‘चेंजिंग इंडिया’ की लॉन्चिंग पर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर मीडिया से बात न करने के आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें प्रेस से बात करने में कभी डर नहीं लगा। मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने में डरता हो। मैं लगातार प्रेस से मिलता रहता था और हर विदेश यात्रा के बाद प्रेस कांफ्रेंस करता था। मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा ‘पावर हाउस’ बनना भारत के भाग्य में लिखा है। जाने-माने अर्थशास्त्री सिंह ने कहा कि 1991 के बाद से भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर औसतन सात प्रतिशत बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘सभी बाधाओं और व्यवधानों के बावजूद भारत सही दिशा में बढ़ता रहेगा। भारत के भाग्य में है कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था का पावर हाउस बने।’
उन्होंने यह बात इसलिए कही कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अबतक के कार्यकाल में कभी संवाददाता सम्मेलन आयोजित नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह विदेश भी जाते थे तो विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाते और आते थे।
अखबारों में खबर के साथ छपता था--'प्रधानमंत्री के विशेष विमान से'। मई, 2014 के बाद से यह परंपरा बिल्कुल बंद है। मनमोहन ने अपनी किताब 'चेंजिंग इंडिया' के विमोचन के मौके पर यह भी कहा कि भारत एक प्रमुख आर्थिक वैश्विक शक्ति बनने वाला है। पांच खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक, चेंजिंग इंडिया, में कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में उनके 10 वर्षो के कार्यकाल, तथा एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके जीवन के विवरण शामिल हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके सिंह ने केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार के संबंधों के बारे में कहा कि ‘रिजर्व बैंक और सरकार का संबंध पति-पत्नी के संबंध की तरह है। दोनों के बीच मतभेदों को निपटाना जरूरी होता है ताकि दोनों सामंजस्य के साथ काम कर सकें।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और आरबीआई के संबंध ‘पति-पत्नी’ की तरह हैं और विचारों में मतभेद का समाधान इस रूप से होना चाहिए, जिससे दोनों संस्थान तालमेल के साथ काम कर सकें। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उसका समाधान इस रूप से होना चाहिए, जिससे दोनों संस्थान सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम कर सके।
उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है कि जब रिजर्व बैंक के आरक्षित धन के स्तर व लघु व मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियम आसान बनाने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्रीय बैंक व वित्त मंत्रालय के बीच मतभेदों की चर्चा के बीच उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया।
मनमोहन का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री के अबतक के कार्यकाल के दौरान एक भी संवाददाता सम्मेलन आयोजित न करने के लिए मोदी का मजाक उड़ाया है। मनमोहन ने देश के भविष्य के बारे में कहा कि तमाम गड़बड़ियों के बावजूद भारत एक प्रमुख वैश्विक ताकत बनने वाला है। उन्होंने विक्टर ह्यूगो का उद्धरण देते हुए कहा, "एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है और धरती पर कोई भी ताकत इस विचार को रोक नहीं सकती।"
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक मजबूत और स्वतंत्र आरबीआई की जरूरत है जो केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करे। उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि सरकार व आरबीआई साथ मिलकर काम करने का रास्ता निकाले।’
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों की ओर से किसानों की कर्ज माफी की घोषणा से जुड़े सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘हमें चुनावी घोषणा-पत्र में जताई गई प्रतिबद्धता का सम्मान करना है।।।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रभाव के बारे में अध्ययन नहीं किया है लेकिन चूंकि प्रतिबद्धता जताई गई है, इसलिए हमें उसका सम्मान करना है।’