सीएम पद पर अड़ी शिवसेना, क्या बीजेपी को मिलेगा एनसीपी का साथ?

महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए सरकार बनाना आसान नहीं दिख रहा है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली हैं। इस तरह से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े हैं, लेकिन सीएम पद पर फंसे पेच के चलते मामला अभी तक अटका हुआ है। महाराष्ट्र की सत्ता में 50-50 का फॉर्मूला नया नहीं है।1999 में भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने यह फॉर्मूला शिवसेना को दिया था, मगर तब शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बन पाई थी। इस बार 50-50 की यह शर्त शिवसेना की ओर से रखी गई है और अब बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है। वही खींचतान के बीच महाराष्ट्र की सत्ता की चाबी फिलहाल एनसीपी के हाथों में नजर आ रही है। ऐसे में शरद पवार बीजेपी या शिवसेना में जिसके साथ खड़े हो जाएं, सत्ता का सिंहासन उसका है। इसके बावजूद शरद पवार से लेकर एनसीपी के तमाम नेता सरकार बनाने से ज्यादा विपक्ष में बैठने को लेकर सहमत हैं। एनसीपी अगर अपने स्टैंड पर कायम रहती है तो शिवसेना से पास बीजेपी के साथ सरकार बनाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।

वही शिवसेना को सर्मथन देने के सवाल पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमारे पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। लोगों ने हमें विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है। हम जनादेश को स्वीकार करते हैं। शरद पवार के साथ-साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी साफ किया कि वह शिवसेना के साथ जाने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।' अगर एनसीपी विपक्ष में बैठने के बयान पर कायम रहती है तो शिवसेना के मुख्यमंत्री पद के अरमानों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के सिवा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा, क्योंकि कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या इतनी नहीं है कि वह अपने दम पर शिवसेना को समर्थन करके सरकार बनवा सके।

वही इस बीच खबर आ रही है कि शिवसेना और भाजपा के प्रतिनिधि मंडल अलग-अलग राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। वहीं, महाराष्ट्र में BJP के साथ सरकार बनाने से पहले शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सामना में कहा गया है कि बैंकों का दिवाला, जनता की जेब के साथ सरकारी तिज़ोरी भी ख़ाली है। शिवसेना के मुखपत्र सामना लिखा गया है कि किसानों, खेतीहरों के हिस्से में वेतन, बोनस का सुख नहीं। केंद्र की माई-बाप सरकार कहती है कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे। प्राकृतिक आपदा से लागत जितनी भी आमदनी नहीं लेकिन इस पर कोई कुछ उपाय नहीं बताता है। देश भर में आर्थिक मंदी, बाज़ार में धूम-धड़ाका नहीं दिख रहा है मंदी की वजह से ख़रीदारी में 30-40% की कमी आई है। नोटबंदी, जीएसटी से आर्थिक हालात दिनों-दिन बदतर हो रहे हैं, कारखाने खतरे में, उद्योग-धंधे बंद, रोज़गार निर्माण ठप हैं।

बता दें कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ और कड़े लहजे में महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा, 'लोकसभा चुनाव में अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के साथ जो तय हुआ था, उससे न कम और न ज्यादा चाहिए।' उससे एक कण भी अधिक मुझे नहीं चाहिए। हालांकि, शिवसेना ने डिप्टी सीएम के पद पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अपने स्टैंड पर अभी तक कायम है। शिवसेना नेताओं का साफ कहना है कि सीट बंटवारे में किन्हीं वजहों से 50-50 फार्मूला लागू नहीं हो पाया था, लेकिन अब सत्ता के बंटवारे में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात बीजेपी को हर हाल में माननी होगी। यही वजह है कि नतीजे आने के 4 दिन बाद भी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर एनडीए की ओर से पहल नहीं की गई है। जबकि हरियाणा में बहुमत के कम होने पर जेजेपी से साथ मिलकर सरकार बीजेपी ने बना ली है।