महाराष्ट्र में केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रोजेक्ट्स ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी लाने पर केंद्रित हैं। पीएम मोदी ने पिछले महीने ही पालघर जिले के गरधन में विशाल बंदरगाह वाढवन पोर्ट का भूमि पूजन किया।
इस प्रोजेक्ट के जरिए ग्रेटर मुंबई क्षेत्र, महाराष्ट्र और पूरे भारत के आर्थिक विकास के लिए एक नया कॉरिडोर मिल रहा है, जो भारत के आर्थिक विकास में तेजी लाने में अहम साबित होने वाला है।
भारत में समुद्र के रास्ते विदेशी व्यापार का एक लंबा इतिहास रहा है। समुद्री जहाज परिवहन का सबसे सस्ता साधन माना जाता है। वास्को-डी-गामा ने केप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाया और भारत के तट पर पहुंच गया। भारतीय मसाले, कपड़ा, रेशम जैसी कई वस्तुएं समुद्र के रास्ते निर्यात की जाती थीं। ब्रिटिश और भारत के बीच व्यापार भी समुद्र के रास्ते होता था।
वाढवन पोर्ट का हाल में पीएम मोदी ने शिलान्यास किया। महाराष्ट्र के लिए 30 अगस्त 2024 का दिन महाराष्ट्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने वाला दिन है। वाढवन पोर्ट के प्रोजेक्ट के जरिए ग्रेटर मुंबई क्षेत्र, महाराष्ट्र और पूरे भारत के आर्थिक विकास के लिए एक नया गलियारा खुल जाएगा, जो कि भारत के भविष्य में एक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित होगा।
भारत के लिए ये सौभाग्य की बात है कि देश के पास एक विशाल समुद्री तट है। मुंबई बंदरगाह ने महाराष्ट्र और मुंबई को सुनहरे दिन दिखाए। जेएनपीटी बंदरगाह देश का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता है। यहां विदेशी व्यापार में वृद्धि के कारण जेएनपीटी बंदरगाह पर दबाव लगातार बढ़ रहा था।
JNPT से तीन गुना अधिक क्षमताजेएनपीटी सबसे बड़ा बंदरगाह माना जाता है। लेकिन वाढवन पोर्ट जेएनपीटी से तीन गुना बड़ा बंदरगाह होगा। ये भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह साबित होने जा रहा है। इसका निर्माण पूरा होने पर देश में बंदरगाहों की कुल कंटेनर क्षमता दोगुनी होकर 298 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगी।
राजमार्ग विस्तार से समृद्धि बढ़ेगीदेवेन्द्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की तिकड़ी दूरदर्शी नेतृत्व के रूप में पहचानी जाती है। शिंदे- फडणवीस की जोड़ी ने समृद्धि हाईवे को समय पर पूरा करके एक रिकॉर्ड बनाया था। यही नहीं MTHL यानी अटल सेतु भी फडनवीस के प्रयासों से पूरा हुआ।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावासमृद्धि राजमार्ग महाराष्ट्र के दस जिलों के 392 गांवों से होकर गुजरता है। यह मार्ग जिन जिलों से होकर जाता है उनमें विदर्भ और मराठवाड़ा शामिल हैं। जहां कृषि सामान और औद्योगिक उत्पाद बंदरगाह के जरिए तेजी से विदेश में भेजे जा सकेंगे। ऐसे में इस बंदरगाह के बनने से महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकास में तेजी आएगी।