'महा-ड्रामे' पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई वही अजित पवार को लगा एक और झटका, 2 और 'लापता' विधायक NCP में लौटे

महाराष्ट्र की सियासत में मिनटों में ऐसे बदलाव हो रहे है जिसकों समझ पाना अब मुश्किल हो गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के जो विधायक भारतीय जनता पार्टी का साथ होने का दावा कर रहे थे और दिल्ली आ गए थे उनमें से दो विधायक अब मुंबई वापस आ गए हैं। एनसीपी नेता अनिल पाटिल और दौलत दरौडा कुछ दिनों से गायब चल रहे थे। इन दोनों को सोमवार को दिल्ली से मुंबई लाया गया है। कुछ दिनों से ये दोनों विधायक हरियाणा के गुरुग्राम में एक होटल में रूके हुए थे। दो और विधायकों का वापस NCP के खेमे में वापस आ जाना अजित पवार गुट के लिए बड़ा झटका है। यानी अब 54 में से 52 विधायक शरद पवार के खेमे में वापस आ गए हैं।

एनसीपी नेताओं का दावा है कि ये विधायक गुरुग्राम के एक होटल में थे, जहां से देर रात को इन्हें दिल्ली से मुंबई लाया गया। सभी विधायकों ने शरद पवार के नेतृत्व में भरोसा जताया है। जो चार विधायक लापता थे उनमें नरहरि झिरवल, अनिल पाटिल, दौलत दरोडा और नितिन पवार शामिल थे। जिनमें से तीन वापस आ गए हैं। अब सिर्फ नरहरि झिरवल दिल्ली में हैं, लेकिन उनसे भी एनसीपी नेता संपर्क में हैं।

बता दें कि रविवार को भी ऐसे कई विधायक थे, जो अजित पवार के खेमे में नज़र आ रहे थे शाम होते-होते वापस शरद पवार के साथ खड़े हुए नज़र आ रहे थे।

एनसीपी के जयंत पाटिल ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की देर रात हुई बैठक पर कहा- 'जो सरकार रात में बनी थी, वह रात में ही गिर जाएगी। केवल मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ही हैं, इसलिए वे एक-दूसरे से मिल रहे हैं। वे दोनों सभी विभागों को आपस में बांट लेंगे।'

दरअसल, महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली, लेकिन अजित पवार ने जिन एनसीपी विधायकों के साथ में होने का दावा किया था उनमें से अधिकतर शरद पवार के पाले में वापस आ गए थे। रविवार को एनसीपी की बैठक में 54 विधायकों में से करीब 50 विधायक वापस आ गए थे, ऐसे में अब अजित पवार के सामने संकट है कि वह किस तरह अपना बहुमत साबित करेंगे।

बता दे, राज्यपाल कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस ने (Congress) सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई है। महा विकास अघाड़ी (MVA) की ओर से पेश सिब्बल ने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आनन-फानन राष्ट्रपति शासन हटाकर शपथ दिलवाई गई। राष्ट्रपति शासन हटाने की कैबिनेट से मंजूरी तक नहीं ली गई। सिब्बल ने कहा कि अगर बीजेपी (BJP) के पास बहुमत (Majority) है तो वह जल्द से जल्द साबित करे। वहीं, उन्‍होंने सवाल उठाया कि राज्यपाल कैसे आश्वस्त हुए कि फडणवीस के पास बहुमत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर राज्‍यपाल को लगता है कि किसी के पास बहुमत है तो वह उसे सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं।'