महाराष्ट्र: मुस्लिमों को कोरोना वैक्‍सीन लगवाने का जिम्‍मा उठाएंगे सलमान खान, उद्धव सरकार ने लिया बड़ा फैसला

महाराष्ट्र के मुस्लिम इलाकों में कोरोना टीकाकरण करवाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। ऐसे में राज्य सरकार पर 'भाईजान' यानी सलमान खान की मदद लेने का मन बनाया है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि सरकार बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की मदद लेगी, ताकि लोगों को टीका लगवाने के लिए राजी किया जा सके।

टोपे ने कहा, 'मुस्लिम बहुल इलाकों में अब भी कुछ हिचकिचाहट है। हमने मुस्लिम समुदाय को टीका लगवाने के लिए राजी करने के लिए सलमान खान और धार्मिक नेताओं की मदद लेने का फैसला किया है। धार्मिक नेताओं और फिल्म अभिनेताओं का बहुत प्रभाव होता है और लोग उन्हें सुनते हैं।'

टोपे ने कहा कि वैक्सीन लगाने के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में टीकाकरण की गति कम है। लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर जो आशंकाएं हैं, वे निराधार हैं। एक धार्मिक व्यक्ति को वैक्सीन की जरूरत नहीं है या वैक्सीन उनके लिए हितकारी नहीं है, यह सोचना एक अंधविश्वास और अज्ञानता है। इसे दूर किया जाना जरूरी है। इसके लिए जनता को जागरुक करना जरूरी है।

टोपे ने कहा कि राज्य में अब तक 10.25 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं और नवंबर के अंत तक सभी पात्र व्यक्तियों को कम से कम पहली खुराक लगा दी जाएगी। महाराष्ट्र में वैक्सीन की दूसरी डोज ले चुके लोगों की संख्या करीब 35% है। यानी वैक्सीन लेने के योग्य 35% लोगों को दूसरी डोज मिल चुकी है।

टोपे ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बारे में, टोपे ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार महामारी का चक्र सात महीने का होता है, लेकिन बड़े पैमाने पर टीकाकरण के कारण अगली लहर गंभीर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि लोगों को कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और टीका लगवाना चाहिए।

टोपे ने कहा कि अगर वैक्सीनेशन की मुहिम को रफ्तार देनी है तो कोवीशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतर को कम करना बेहद जरूरी है। महाराष्ट्र ने केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव दिया है। उन्होंने बताया कि वे अपनी यह राय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को भी दे चुके हैं।

टोपे ने कहा कि कोवैक्सीन की दो डोज में अंतर 28 दिनों का है जबकि कोवीशील्ड वैक्सीन की दो डोज में अंतर 84 दिनों का है। इस अंतर को कम किया जा सकता है क्या? इस बारे में विशेषज्ञों से बात करने की जरूरत है। इसमें IMCR और इस पर रिसर्च करने वाली अन्य संस्थाओं की राय अहम होगी।