महाराष्ट्र : खुलासा! 30 नवंबर नहीं, 7 दिसंबर तक साबित करना है फडणवीस को बहुमत

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग की गई थी। हालांकि, अदालत ने आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के सभी पक्षों की दलील पूरी हो गई, जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार सुबह 10:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट कल इस पर फैसला सुना सकता है। सोमवार को अदालत में तीखी बहस हुई और बीजेपी-एनसीपी की ओर से पेश वकीलों ने फ्लोर टेस्ट में जल्दबाजी ना करने को कहा गया। वहीं पहली बार ये बात भी सामने आई है कि राज्यपाल की ओर से बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया गया था। इससे पहले राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि फ्लोर टेस्ट 30 नवंबर को होना है।

सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र संकट पर सुनवाई शुरू होते ही केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सभी दस्तावेज पेश किए। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल को दी गई चिट्ठी में एनसीपी के 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे। अजित पवार ने जो चिट्ठी सौंपी थी वो मराठी में है। तुषार ने बताया कि जब अजित पवार ने चिट्ठी सौंपी थी उस वक्त वह विधायक दल के नेता थे। तुषार मेहता ने बताया कि बहुमत मिलने के बाद ही महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया गया। सुनवाई के दौरान जस्टिस रमन्ना ने कहा कि महाराष्ट्र पर आखिरी फैसला तो फ्लोर टेस्ट में ही होगा।

देवेंद्र फडणवीस की ओर से पक्ष रख रहे मुकुल रोहतगी ने अदालत से अपील की है कि फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि पहले प्रोटेम स्पीकर चुना जाए, फिर विधायकों की शपथ, उसके बाद स्पीकर का चुनाव, राज्यपाल का अभिभाषण और अंत में फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।

इसी के साथ मुकुल रोहतगी ने अदालत को ये भी बताया कि राज्यपाल की ओर से देवेंद्र फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया गया था। बता दें कि अभी तक ये चर्चा चल रही थी कि 30 नवंबर को फ्लोर टेस्ट हो सकता है लेकिन अब ये बात पहली बार सामने आई थी।

सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना का पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने हॉर्स ट्रेडिंग पर जवाब देते हुए कहा कि अस्तबल से सिर्फ घुड़सवार ही भागा है, घोड़े वहीं के वहीं हैं। सिब्बल ने कहा- हमारे पास 154 विधायकों के समर्थन का हवाला है। वहीं, एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या हुई है। हमारी मांग है कि 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट कराया जाए।

अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि अगर दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट को तैयार हैं तो फिर देरी क्यों हो रही है। उन्होंने अदालत में 154 विधायकों के समर्थन पत्र भी सौंपा लेकिन अदालत ने कहा कि ऐसे में उन्हें विधायकों से भी जवाब लेना पड़ेगा, जिसके बाद पत्र वापस ले लिया गया। कांग्रेस-एनसीपी की ओर से लगातार मांग की गई है कि अदालत को तुरंत प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति का आदेश देना चाहिए, जिसके बाद विधायक शपथ लें और फिर फ्लोर टेस्ट हो सके।