आखिर कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने में हिचकिचा क्यों रही है?

महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद तेज तो हुई है लेकिन अभी भी पूरी तस्वीर क्लियर नहीं हो पाई है। शिवसेना को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ने सोमवार शाम 7:30 बजे तक का समय दिया था लेकिन वो इसमें इसमें नाकाम रही और उन्होंने और समय की मांग की जिसको राज्यपाल द्वारा नकार दिया गया। वही इसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दे दिया है। एनसीपी को आज शाम 8:30 बजे तक विधायकों के हस्ताक्षर किए हुए लैटर को राज्यपाल को सौपना है। अब समझ ने वाली बात यह है कि शुरू से सत्ता की चाह रखने वाली शिवसेना कहा चूक गई। दरअसल, एनसीपी ने शिवसेना को समर्थन का फैसला कांग्रेस के हाथ में छोड़ दिया है। लेकिन कांग्रेस अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाई है। आखिर सवाल यह उठता है कि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने में हिचकिचा क्यों रही है। क्या इसका कारण शिवेसना का इतिहास है। बता दें, ट्रेड यूनियनों से मुकाबले के लिए इंदिरा गांधी ने शिवसेना को खड़ा किया था लेकिन धीरे-धीरे कट्टर हिंदुत्व की तरफ झुकाव ने शिवसेना को कांग्रेस से दूर कर दिया।

अब महाराष्ट्र की राजनीति एक ऐसे चौराहे पर आ खड़ी हुई है जिसमें सबके दावे अलग हैं। शिवसेना को पहले उम्मीद थी कि अगला मुख्यमंत्री उसका होगा लेकिन कांग्रेस के रुख ने शिवसेना के सपनों पर पानी फेर दिया। कांग्रेस के विधायक जयपुर के देउना विस्टा रिजॉर्ट में ठहरे हैं लेकिन उनके नेताओं में दिल्ली में हलचल है। दूसरी ओर उद्धव ठाकरे ने सरकार बनाने को लेकर सोनिया गांधी को फोन किया लेकिन सोनिया गांधी ने अपना पत्ता नहीं खोला। 10 जनपथ की बैठक खत्म हुई तो शिवसेना के लिए कोई साफ संदेश आया नहीं। अब महाराष्ट्र की राजनीति मंगलवार को किस दिशा में जाएगी, ये देखने वाली बात होगी।

मंगलवार को एनसीपी विधायक दल की बैठक होने वाली है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक करने वाली हैं। उद्धव ठाकरे भी शरद पवार से कांग्रेस की शर्तों पर बात करने वाले हैं। कांग्रेस के नेताओं की टीम मुंबई में शरद पवार से मिलने वाली है। यानी मंगलवार को हर दल अपने दांव चलेंगे।