महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को लेकर पुलिस का एक्शन तेज है। इस बीच महाविकास अघाड़ी सरकार को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है। MVA ने लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण, धार्मिक ध्रुवीकरण और वोटिंग पैटर्न को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं। ऐसे में कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि इस बार एमवीए किसी मुस्लिम चेहरे को सीएम चेहरा बनाकर ध्रुवीकरण का राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति बना सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने रणनीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया है। महाविकास अघाड़ी ने लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण, धार्मिक ध्रुवीकरण और वोटिंग पैटर्न को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि महाविकास अघाड़ी ने भविष्य में इसी वोट समूह के लिए एक मुस्लिम उपमुख्यमंत्री बनाने का लगभग फैसला कर लिया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने महाविकास अघाड़ी के पक्ष में जमकर वोट किया। महायुति की सीटें, जो लाखों लोगों के नेतृत्व में थीं, एक विधानसभा क्षेत्र में हार गईं क्योंकि मुस्लिम बहुसंख्यक मतदाताओं ने इसके खिलाफ मतदान किया था। धुले, पूर्वोत्तर मुंबई, उत्तर मध्य मुंबई जैसे कई स्थान इस पैटर्न के उदाहरण हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि मुस्लिम मतदाता कभी भी भाजपा को वोट नहीं देते। लोकसभा चुनाव में यह साफ तौर पर देखने को भी मिला है. यह सिलसिला हाल ही में हुए हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में भी जारी रहा। पिछले विधासभा चुनावों पर नजर डाले तो पता चलता है कि मुस्लिम मतदाता सीधे तौर पर महाविकास अघाड़ी के पक्ष में मतदान करते हैं।
महाविकास अघाड़ी यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि उसका असली मतदाता एमआईएम या वंचित बहुजन अघाड़ी में स्थानांतरित न हो जाए। दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि विधानसभा चुनाव में भी उद्धव की यही नीति जारी रहेगी।
वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो संभावना है ध्रुवीकरण की राजनीति का अंत नहीं होने वाला। यह सिलसिला जारी रहेगा। हालांकि का्ंग्रेस लगातार कमजोर होती जार रही है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस नई मुस्लिम लीग बन गई है। हिंदुओं का कांग्रेस में और कांग्रेस के साथ कोई भविष्य नहीं है।