
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है। 20 मई 2025 को देवेंद्र फडणवीस सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें एनसीपी नेता छगन भुजबल ने मंत्री पद की शपथ ली। शपथग्रहण समारोह मुंबई स्थित राजभवन में हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी मौजूद रहे। यह शपथ न केवल राजनीतिक संतुलन का संकेत है, बल्कि भुजबल के लंबे राजनीतिक अनुभव को फिर से सक्रिय भूमिका में लाने की तैयारी भी है।
छगन भुजबल का राजनीतिक सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। एक समय मुंबई के बायकुला मार्केट में सब्जी बेचने वाले भुजबल ने अपने संघर्षों से राजनीति की ऊंचाइयों तक का सफर तय किया। 1960 के दशक में उन्होंने शिवसेना से अपने करियर की शुरुआत की और 25 वर्षों तक पार्टी के अहम चेहरा बने रहे। 1991 में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर शिवसेना से मतभेद के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में वे शरद पवार के साथ एनसीपी में शामिल हो गए और 1999 में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री बने।
अपने लंबे करियर में भुजबल ने गृह, सार्वजनिक निर्माण, खाद्य आपूर्ति, और उपभोक्ता मामलों जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है। हालांकि 2016 में उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में आया और उन्हें दो साल तक जेल में रहना पड़ा। लेकिन इसके बाद उन्होंने फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी की और 2024 के चुनाव में एनसीपी की ओर से जीत दर्ज की।
2024 में कैबिनेट में जगह न मिलने से भुजबल नाराज थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से अजित पवार पर सवाल भी उठाए थे। लेकिन अब महायुति (भाजपा, शिवसेना, एनसीपी) सरकार में उन्हें दोबारा जगह मिलना उनकी स्वीकार्यता और राजनीतिक अनुभव का संकेत है।
अब देखना यह होगा कि छगन भुजबल महाराष्ट्र सरकार में अपनी नई भूमिका में क्या नए बदलाव लेकर आते हैं और उनके हाथ में कौन सा मंत्रालय सौंपा जाता है।