मुम्बई। पूर्व मंत्री सूर्यकांता पाटिल ने भाजपा छोड़ दी है और अब वह शरद पवार खेमे वाली एनसीपी का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने शनिवार को ही भाजपा से इस्तीफा दिया था। तब से ही शरद पवार खेमे में जाने की अटकलें थीं।
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे उम्मीदों के विपरीत आने पर भाजपा में मंथन चल ही रहा है कि इस बीच उसे करारा झटका लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सूर्यकांता पाटिल ने भाजपा छोड़ दी है और अब वह शरद पवार खेमे वाली एनसीपी का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने शनिवार को ही भाजपा से इस्तीफा दिया था और तब से ही अटकलें थीं कि वह शरद पवार खेमे में जा सकती हैं। उन्होंने 11 साल बाद घर वापसी की है। एनसीपी को छोड़कर वह 2014 में ही भाजपा में आ गई थीं। उन्होंने अब घर वापसी करते हुए यह भी कहा कि भाजपा में जाकर उन्होंने गलती की थी।
इसके साथ ही उन्होंने इस्तीफे में लिखा कि बीते 10 सालों में मैंने बहुत कुछ सीखा है। इसके लिए पार्टी को धन्यवाद देती हूं। सूर्यकांता पाटिल के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह अशोक चव्हाण की एंट्री और उन्हें राज्यसभा भेजे जाने से नाखुश थीं। उन्हें लग रहा था कि उनको यह मौका मिलना चाहिए था। इसके अलावा वह लोकसभा चुनाव में भी लड़ने की दावेदारी कर रही थीं, लेकिन भाजपा से उन्हें मौका नहीं मिल सका था। बता दें कि सूर्यकांता पाटिल ने दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी पार्टी से इतर राय रखी थी। इसके बाद से ही कयास लग रहे थे कि वह पार्टी में साइडलाइन चल रही हैं और वह कभी भी अलग राह अपना सकती हैं।
वह नांदेड़ से आती हैं, जहां से अशोक चव्हाण भी हैं। वह फिलहाल भाजपा से राज्यसभा सांसद बने हैं। एक तरफ नांदेड़ पार्टी को लोकसभा चुनाव में हार मिली है और अब पाटिल के शरद पवार खेमे में जाने से उसे झटका लगा है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह नेताओं का छोड़ना उसकी टेंशन बढ़ाने वाला है। शरद पवार ने पाटिल की वापसी पर कहा कि उनके आने से पार्टी को नांदेड़, हिंगोली, परभणी, बीड और अन्य जिलों में मदद मिलेगी। सूर्यकांता पाटिल ने अपने इस्तीफे में कहा कि मैंने कई बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से मिलने का समय मांगा था। लेकिन उन्होंने वक्त ही नहीं दिया।