मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस को मिला मायावती का साथ, हासिल किया 116 सीटों का जादुई आंकड़ा

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सरकार बनाने की कांग्रेस (Congress) की राह आसान हो गई है, अब उसे मायावती का साथ मिल गया है। खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में यह ऐलान किया। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों के परिणाम आने के बाद 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को बसपा समर्थन देगी। राज्‍य में बसपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है। इस तरह राज्‍य में कांग्रेस को बीएसपी के समर्थन से बहुमत का 116 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल हो गई है और अब वह सरकार बनाने का दावा राज्‍यपाल के सामने पेश कर सकते हैं। मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने से पहले उसे फटकार भी लगाई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, 'भाजपा गलत नीतियों की वजह से हारी है। भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के शासन में यहां काफी उपेक्षा हुई है। आजादी के बाद केंद्र और राज्य में ज्यादातर जगह कांग्रेस ने ही राज किया है। मगर कांग्रेस के राज में भी लोगों का भला नहीं हो पाया। अगर कांग्रेस बाबा साहब अंबेडकर के साथ मिलकर विकास का काम सही से किया होता तो बसपा को अलग पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि उन्‍होंने साथ ही यह भी कहा कि राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में हम अपेक्षा के मुताबिक सीटें जीतने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन मैं हमारी पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का धन्‍यवाद करती हूं।'

उन्होंने कहा, 'भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए हमारी पार्टी ने यह चुनाव लड़ा था। दुख की बात है कि हमारी पार्टी इसमें उस तरह से कामयाब नहीं हो पाई। भाजपा अभी भी सत्ता में आने के लिए जोर-तोड़ कर रही है। इसलिए हमने कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है। भाजपा को सत्ता से दूर रखने का यही तरीका है। अगर राजस्थान में भी जरूरत हुई, तो वहां भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए बसपा समर्थन दे सकती है।'

उन्‍होंने कहा कि दिल पर पत्‍थर रखकर तीनों राज्‍यों में जनता ने कांग्रेस को चुना। साथ ही उन्‍होंने कांग्रेस के लिए भी कड़ा संदेश दिया। उन्‍होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लोगों की कांग्रेस पार्टी के राज के दौरान ही ज्‍यादा उपेक्षा रही है व बीजेपी के राज में भी इनकी उपेक्षा होनी बंद नहीं हुई। उन्‍होंने आगे कहा कि मैं यह भी याद दिलाना चाहती हूं कि आजादी के बाद भी केंद्र में ज्‍यादातर कांग्रेस का एकछत्र राज रहा है, लेकिन इस पार्टी के शासनकाल के दौरान इन वर्गों का भला नहीं हो सका। इस वजह से ही मैं हमें अलग से राजनीतिक पार्टी बसपा बनानी पड़ी। अर्थात कांग्रेस ने बाबा साहेब की सोच के मुताबिक, इन वर्गों का विकास व उत्‍थान कर दिया होता तो इनके हितों में अलग से पार्टी नहीं बनानी पड़ती।

बसपा प्रमुख ने आगे कहा, हमें ये भी मालूम है कि ये पाटियों इन वर्गौं के प्रति हीन न संकुचित मानसिकिता के चलते हमारी पार्टी को कामयाब नहीं होने देना चाहती हैं। हमें कतई हिम्‍मत नहीं हारनी है। इनके सभी हथकंडों का मुकाबला करते हुए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना है।

उन्‍होंने कहा कि हम अपेक्षा के मुताबिक, अच्‍छी जीत न मिलने के मुख्‍य कारणों का विश्‍लेषण करेंगे और मैं अपने कार्यकर्ताओं से अपील करती हूं कि आगामी लोकसभा चुनावों में अच्‍छा प्रदर्शन करने के जी-जान से जुट जाइये। अंत में मैं यह भी कहना चाहती हूं कि हमने यह चुनाव बीजेपी को सत्‍ता से बाहर रखने के लिए जी-जान से लड़ा। हमारी पार्टी इस मकसद में कामयाब नहीं हो सकी। लिहाजा, हमने यह तय किया है कि एमपी में हमारी पार्टी अभी कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करती है। अगर राजस्‍थान में भी समर्थन देने की जरूरत महसूस हुई तो बीजेपी को सत्‍ता से रोकने के हम कांग्रेस को वहां भी साथ देने को तैयार है। हम छत्‍तसीगढ़ में पहले ही वहां समर्थन दे ही चुके हैं।

मायावती ने कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव परिणामों से साफ जाहिर है कि लोग भाजपा और उसकी लोक हित विरोधी नीतियों के खिलाफ थे। ऐसा कोई मजबूत विकल्प नहीं था, जिसकी वजह से कांग्रेस को लोगों ने चुनाव। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी से अच्छा काम किया, साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और वोटरों का धन्यवाद दिया।'

बता दें, मध्य प्रदेश में 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं। कांग्रेस बहुमत से दो सीट दूर रह गई। दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी 109 सीटों के साथ रही। इसके अलावा बसपा को दो, समाजवादी पार्टी को एक और चार अन्यों को सीट मिली हैं।