लोकसभा में संसदीय बजट सत्र के दौरान सोमवार को एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी NIA) संशोधन बिल पेश हुआ और इस पर चर्चा हुई। चर्चा के दौरान जब सरकार की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सत्यपाल सिंह बोल रहे थे तभी बवाल हो गया। बिल पेश होने के बाद बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि हैदराबाद धमाकों में जब पुलिस ने संदेह के आधार पर कुछ अल्पसंख्यकों को पकड़ा तो सीएम ने सीधे कमिश्नर से कहा कि वे ऐसा ना करें वरना उनकी नौकरी चली जाएगी। इस पर जब AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि सुनने की भी हिम्मत रखिए। उन्होंने कहा कि ओवैसी साहब सुनने की भी ताकत रखिए, जब ए राजा बोल रहे थे तब आप क्यों नहीं खड़े हुए, ऐसे नहीं चलेगा, सुनना भी पड़ेगा।
दरअसल, NIA संशोधित बिल पर जब सोमवार को लोकसभा में चर्चा शुरू हुई तो चर्चा के दौरान मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और बीजेपी सांसद ने सत्यपाल सिंह ने कहा कि आतंकवाद इसलिए फल-फूल रहा है क्योंकि हम उसे राजनीतिक चश्मे से देखते हैं जबकि हमें उससे मिलकर लड़ना चाहिए।
कांग्रेस, डीएमके ने कहा- एजेंसी का ना हो दुरुपयोगलोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ने एनआई संशोधन बिल पेश होने पर कहा कि सरकार कोई ऐसा बिल लाना चाहिए जो यह तय करे कि कोई भी जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो, क्योंकि एजेंसी को ज्यादा पावर मिलने पर इसके दुरुपयोग का भी खतरा है। इससे पहले एनआईए की संवैधानिक वैधता पर भी सवाल खड़े हुए थे ऐसे में सरकार को इससे निपटने के प्रावधान लाने चाहिए।
एजेंसी के दुरुपयोग के मुद्दे को डीएमके नेता ए राजा ने भी समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि टू जी केस में मैंने इसे झेला है। मुझे इसमें आरोपी बनाया गया, 7 साल तक फैसले का इंतजार करना पड़ा और सीबीआई की 15 दिनों की पूछताछ के बाद मुझे बेकसूर साबित कर दिया गया।
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह संसदीय नियमों के खिलाफ है और संसद में बिल पेश नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एनके प्रेमचंद्रन ने भी लोकसभा में एनआईए बिल पेश करने का विरोध जताया।