झारखंड: धनबाद से मैदान में उतरेंगे कीर्ति आजाद, पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते BJP से हुए थे निलंबित

पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 2015 में बीजेपी से निलंबित हुए कीर्ति आजाद हाल ही में कांग्रेस का हाथ थामा है। कांग्रेस में शामिल होने से पहले कीर्ति आजाद लंबे समय से बीजेपी पर हमलावर थे। बीजेपी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा था कि राम मंदिर का मामला घोषणा पत्र में शामिल कर करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म में दिवंगत आत्मा पर टीका- टिप्पणी संस्कृति के खिलाफ है, लेकिन पंडित नेहरू और देश की एकता अखंडता के लिए शहीद हुईं इंदिरा गांधी-राजीव गांधी पर हमले किए गए। कोई युद्ध नहीं हो रहा है पर जवान शहीद हो रहे हैं।

कीर्ति आजाद ने आज झारखंड के महासचिव आरपीएन सिंह से मुलाकात की। जिसके बाद यह फैसला लिया गया कि कीर्ति आजाद धनबाद से चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद कीर्ति आजाद धनबाद से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। लेकिन झारखंड में महागठबंधन के सीट बंटवारे में धनबाद सीट आरजेडी के खाते में चली गई थी। आरजेडी ने इस सीट से दिग्गज अब्दुल बारी सिद्दीकी को उतारने का फैसला किया था। कांग्रेस ने आजाद को वाल्मीकि नगर सीट से लड़ने का भी प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव से इनकार कर दिया था। आखिरकार पार्टी को कीर्ति आजाद की बात माननी पड़ी।

कौन हैं कीर्ति आजाद?

दरभंगा से लगातार दूसरी बार सांसद कीर्ति आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता भागवत झा आजाद के बेटे हैं। कीर्ति आजाद की पहचान क्रिकेट की दुनिया से भी है। कीर्ति आजाद 1983 की वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य भी रहे। कीर्ति आजाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1993 में दिल्ली के गोल मार्केट इलाके में विभानसभा चुनाव के जरिए की थी।

1998 में आजाद ने दरभंगा का रुख किया और वहां से पहली बार जीते और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि, 1998 की जीत के बाद उन्हें अगली जीत के लिए 2009 तक इंतजार करना पड़ा।

चार साल पहले ही कांग्रेस ने दे दिया था न्यौता!

कीर्ति आजाद के भारतीय जनता पार्टी से निलंबित होते ही कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्यौता दे दिया था। कांग्रेस का कहना था कि कीर्ति आजाद के पिता कांग्रेसी थे। उनकी रगों में कांग्रेसी खून बहता है। यह बयान कांग्रेसी नेता शकील अहमद ने दिया था। इस घटना के चार साल बाद 2019 में कीर्ति आजाद ने न सिर्फ अपने कांग्रेसी पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया है बल्कि कांग्रेस की उस ख्वाहिश को भी पूरा कर दिया जो उनके एक नेता ने बयां की थी।
भारतीय जनता पार्टी से साल 2015 में निलंबित होते ही कीर्ति बिफर पड़े थे। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वह इस बात से खुश हैं कि उनके भ्रष्टाचार से लड़ने के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक चेहरा सामने आया है। कहा गया, कीर्ति आजाद को पार्टी से निलंबन की सजा अरुण जेटली से उलझने की वजह से मिली।