कोलकाता दक्षिण में TMC को तगड़ी टक्कर देंगी वामपंथी चेहरा सायरा शाह हलीम

कोलकाता। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही है, वैसे ही हर राज्य में चुनाव सिर चढ़कर बोलने लगा है। कमोबेश यही स्थिति ममता बनर्जी के शासित राज्य पश्चिम बंगाल की भी है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा से लेकर दुर्गापुर तक भाजपा, टीएमसी, सीपीआई और सीपीएम अपना अपना दावा ठोंक रहे हैं। पश्चिम बंगाल की इस चुनावी लड़ाई में एक ऐसे उम्मीदवार का चेहरा चर्चाओं का केन्द्र बन गया है, जो कभी वामपंथियों का जबरदस्त विरोधी रहा है और जिसने कई साल तक कॉरपोरेट जगत में नौकरी की है। यह चेहरा है बॉलीवुड के ख्यातनाम अभिनेता नसीरउद्दीन शाह की भतीजी सायरा शाह हलीम का, जो पहली बार राजनीति में उतरी हैं और वो भी सीपीएम से। इस चुनाव में सायरा ममता बनर्जी के गढ़ में उनकी पार्टी को चुनौती देती नजर आएंगी।

लोकसभा चुनाव 2024 में सीपीएम ने सायरा शाह हलीम को कोलकाता दक्षिण से अपना उम्मीदवार बनाया है। सायरा शाह का मुकाबला टीएमसी की माला रॉय से होगा। करीब 44 साल की सायरा शाह हलीम कोलकाता में घूम-घूमकर सीपीएम का प्रचार कर रही हैं और लोगों से मुलाकात कर वोट मांग रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 17 साल तक वह कॉरपोरेट वर्ल्ड में काम कर चुकी हैं। जिसका वामपंथी सबसे ज्यादा विरोध करते हैं।

कर चुकी हैं सीएए और एनआरसी का विरोध


सायरा शाह पिछले दिनों प्रदेश में हुए एनआरसी और सीएए के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इन्होंने अजमेर के सोफिया गर्ल्स कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है। इसके बाद अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर किया है। सामाजिक कार्यों में आने से पहले देश की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग विकास निगम (वेबेल) के साथ व्यवसाय विकास और संचार प्रशिक्षक के रूप में काम किया।


सायरा हलीम का दायरा बहुत बड़ा है। वह देश के अनुभवी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भतीजी हैं। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीर उद्दीन शाह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। इनकी शादी सीपीएम नेता और पश्चिम बंगाल विधान सभा के पूर्व स्पीकर हाशिम अब्दुल हलीम के बेटे फुआद हलीम से हुई है।

सायरा हलीम का जन्म कोलकाता में हुआ है। पिता लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीर उद्दीन शाह की पोस्टिंग के कारण वह पंजाब, मणिपुर, नागालैंड और तमिलनाडु में भी रहीं। इतना ही नहीं पिता खाड़ी देश में भारत के रक्षा अताशे थे तो उन्हें दो साल रियाद में भी बिताने का मौका मिला।