CM फडणवीस का इस्तीफा, कहा - इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार, 50-50 के फॉर्मूले पर कभी बात नहीं हुई

14 दिन की खींचतान के बाद भी महाराष्ट्र का कौन सीएम होगा इसका जवाब नहीं मिल पाया और आज यानि शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया हैं। बता दे, महाराष्ट्र विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है। इससे पहले राज्य में सरकार का गठन जरूरी है। फडणवीस ने इस्तीफे के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा- ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहने के मुद्दे पर मेरे सामने कभी शिवसेना से बातचीत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बातचीत विफल होने के लिए शिवसेना ही सौ फीसदी जिम्मेदार है। पिछले 10 दिनों में हमारे शीर्ष नेतृत्व मोदीजी के खिलाफ जिस तरह की बयानबाजी हुई, वह असहनीय है। माना जा रहा है कि फडणवीस ने इस्तीफा देकर शिवसेना पर दबाव बनाने की कोशिश की है। जिस वक्त फडणवीस अपना इस्तीफा सौंपने राज्यपाल के पास पहुंचे, ठीक उसी वक्त शिवसेना नेता संजय राउत ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। मोदीजी के खिलाफ बयानबाजी वालें बयान पर राउत ने कहा कि हमने कभी भी नरेंद्र मोदी या अमित शाह के खिलाफ व्यक्तिगत बयानबाजी नहीं की।

इस्तीफे के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने कहा कि भाजपा-शिवसेना के गठबंधन को महाराष्ट्र की जनता ने बहुमत दिया। 160 से ज्यादा सीटें गठबंधन को मिलीं। भाजपा को 105 सीटें मिलीं। हमारा स्ट्राइक रेट 70% रहा है। दुर्भाग्य से हमें सीटें कुछ कम मिलीं। उन्होंने कहा- ढाई साल (मुख्यमंत्री पद) का जो विषय है, मैं आज भी साफ तौर पर यह कहना चाहता हूं कि मेरे सामने कभी भी ढाई साल के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। मेरे सामने ऐसा कोई निर्णय भी नहीं लिया गया था। उद्धव ठाकरे और हमारे पार्टी अध्यक्ष के बीच अगर ऐसी कोई चर्चा हुई हो, तो उसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि अगर कोई गलतफहमी हुई है तो इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन हम चर्चा करेंगे ही नहीं, ये बातें कही जा रही हैं। मैंने कई बार बातचीत की कोशिश की। मैंने खुद उद्धवजी को कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। फडणवीस ने कहा कि 5 साल महाराष्ट्र की सेवा करने का मौका मिला इसके लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा का आभारी हूं। उन्होंने कहा कि आपको महसूस हुआ या नहीं, मैं नहीं जानता। लेकिन, मैं हमारे मित्र शिवसेना का भी आभारी हूं।

शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर बने गतिरोध के बीच सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने फैसला लिया है कि वह राज्य में अल्पमत वाली सरकार नहीं बनाएगी। बीजेपी को मालूम है कि उसके पास बहुमत नहीं है और अल्पमत के साथ अगर वह सरकार बनाती है तो शिवसेना को कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का बहाना मिल जाएगा।

सरकार के गठन को लेकर अभी भी है ये दो विकल्प

हालांकि राज्य में सरकार के गठन को लेकर अभी भी दो विकल्प हैं। पहला यह कि बीजेपी और शिवसेना के बीच समझौता हो जाए और नई सरकार का गठन हो या फिर दूसरा विकल्प है कि शिवसेना एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाए। हालांकि दूसरे विकल्प में दिक्कत यह है कि शिवसेना दोनों ही पार्टियों की धुर-विरोधी रही हैं।

पहले विकल्प के तहत सरकार बनाने के लिए शिवसेना को बीजेपी से मुख्यमंत्री पद की मांग छोड़नी पड़ेगी या फिर बीजेपी ने शिवसेना से 50-50 के फॉर्मूले को लेकर जो वादा किया है उसे पूरा करे। अगर इन दोनों विकल्पों में से किसी एक पर भी सहमति नहीं बनती है।

बता दे, अगर तय सीमा तक कोई भी दल सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करता है, तो राज्यपाल सबसे बड़े दल को ऐसा करने के लिए न्योता दे सकते हैं। फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद भाजपा सरकार बनाने के लिए आगे आए, इसके आसार कम हैं। इस स्थिति में राज्यपाल दूसरे बड़े दल को भी बुला सकते हैं, लेकिन कोई भी दल अकेले इस स्थिति में नहीं है। अगर तय सीमा तक कोई भी दल सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आता है तो राज्यपाल राष्ट्रपति को इसकी रिपोर्ट भेजेंगे और उसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।