कुवैत में बदलाव लाया मीटू आंदोलन, महिलाओं को मिली छेड़छाड़ का विरोध करने की ताकत

कई मामलों में देखा जाता हैं कि महिलाओं के साथ ज्यादती तो होती हैं लेकिन महिलाएं उसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं। कुवैत को तो महिलाओं के शोषण के लिए जाना ही जाता हैं। वहां पुरुषों का वर्चस्व इस कदर हावी है कि महिलाओं के लिए उनके खिलाफ आवाज उठाना कुछ समय पहले तक भी काफी मुश्किल था। लेकिन मीटू आंदोलन ने खाड़ी देशों में औरतों को हिम्मत देने का काम किया है। अब महिलाएं पुरानी बंदिशों को तोड़कर खुले में अपने खिलाफ हुई हिंसा के बारे में बोल रही हैं। यह विश्वभर में चले मीटू आंदोलन का असर है। यहां महिलाएं हाईवे हो या मॉल या फिर कोई अन्य स्थान अक्सर छेड़छाड़ और शोषण का शिकार होती हैं।

दुनियाभर में चले मीटू अभियान ने कुवैत में महिलाओं को पुरानी जड़ताएं तोड़कर शोषण और छेड़छाड़ का विरोध करने की ताकत दी है। ज्यादा ज्यादा महिलाएं अब शोषण के खिलाफ खुलकर सोशल मीडिया पर बोल रही हैं। छेड़छाड़ की शिकार अबरार जेनकावी के अनुसार कुवैत में महिलाओं का पीछा करना, उनको डराना और उनके नजदीक से तेजी से गाड़ी लेकर गुजर जाना आम है और ऐसा करते वक्त मर्दों को किसी का कोई भय नहीं होता। ऐसी ही एक घटना में बुरी तरह जख्मी हुई अबरार जेनकावी अब भी उन पलों को याद कर सिहर उठती हैं। उनके अनुसार गहरे तौर पर जुड़े कुवैत के पितृसत्तात्मक समाज को अब महिलाओं से चुनौती मिलने लगी है।