बीमा क्षेत्र में सबसे भरोसेमंद कंपनी का नाम ले तो सबसे ऊपर नाम आता है LIC का जो अपने ग्राहकों को अच्छी सुविधा देने के लिए हर संभव कोशिश करती है। LIC की कई पॉलिसियां ऐसी हैं जिनके बारें में अक्सर लोगों को पता नहीं होता है या फिर कम लोग इससे अवगत रहते है। आज हम आपको LIC की ऐसी पॉलिसी के बारे में बताने जा रहे है जिसे स्पेशल योजनाओं के तहत रखा गया है। यह बीमित रकम के डबल डेथ बेनिफिट + प्रीमियम रिटर्न के साथ नॉन यूनिट लिंक्ड बीमा योजना है। इस पॉलिसी का नाम है जीवन सरल। जिसमे अगर आप 10 वर्ष तक बने रहते है तो आपको मिलता है स्पेशल मुनाफा। तो आइये जानते है इस पॉलिसी में क्या है खास
- प्रीमियम, पॉलिसी धारक द्वारा चुना जाता है और बीमित रकम, चुने हुए प्रीमियम का 250 गुना होता है।
- मृत्यु लाभ के रूप में उसके नॉमिनी को बीमित रकम + भरा हुआ प्रीमियम (अतिरिक्त प्रिमियम, राइडर प्रीमियम तथा पहले वर्ष के प्रीमियम को छोड़कर) + लॉयल्टी एडिशंस (अगर कुछ है तो) का भुगतान किया जाता है।
- मैचुरिटी लाभ के रूप में पॉलिसी धारक को मैचुरिटी पर मिलनेवाला बीमित रकम + लॉयल्टी एडिशंस (अगर कुछ है तो) का भुगतान किया जाता है।
- पॉलिसी में तीन वर्ष तक बने रहने के बाद उसे पार्शियल सरेंडर किया जा सकता है।
- तीन वर्ष के प्रीमियम भुगतान के बाद एक वर्ष का अतिरिक्त जोखिम कवर।
- टर्म राइडर तथा दुर्घटना मृत्यु और दिव्यांगता लाभ के रूप में वैकल्पिक उच्च कवर उपलब्ध।
- आप अधिकतम पॉलिसी अवधि का चुनाव कर सकते हैं और 5 वर्ष पॉलिसी में बने रहने के बाद कभी भी बिना किसी अतिरिक्त सरेंडर शुल्क के पॉलिसी सरेंडर कर सकते हैं।
- पॉलिसी में 10 वर्ष तक बने रहने के बाद आपको लॉयल्टी एडिशंस का लाभ मिलता है।
LIC जीवन सरल योजना के तहत मिलने वाले फायदेंमृत्यु लाभ: अगर पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को, बीमित रकम (अर्थात मासिक प्रीमियम का 250 गुना) + पहले वर्ष के प्रीमियम तथा राइडर / अतिरिक्त भरे हुए प्रीमियम के अलावा भरे हुए प्रीमियम का भुगतान लॉयल्टी एडिशन (अगर कुछ है तो)
मैचुरिटी लाभ: पॉलिसी के मैच्योर होने पर पॉलिसी धारक को, मैचुरिटी बीमित रकम (पॉलिसी धारक की प्रवेश आयु तथा पॉलिसी अवधि पर निर्भर करती है) + लॉयल्टी एडिशंस (अगर कुछ है तो)
आयकर लाभ: आपके करयुक्त तनख्वाह से हर साल जीवन बीमा के Rs। 1,50,000 तक के प्रीमियम भुगतान पर आयकर की धारा 80C के तहत छूट दी जाती है। मृत्यु लाभ तथा मैच्युरिटी लाभ भी आयकर की धारा 10(10D) के तहत करमुक्त होती है।