गुजरात के पूर्व CM केशुभाई पटेल नहीं रहे, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। गुरुवार सुबह सांस लेने में तकलीफ होने के बाद केशुभाई पटेल को अहमदाबाद के अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। केशुभाई 2 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे। 30 सितंबर को ही सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के दोबारा अध्यक्ष चुने गए थे।

कुछ वक्त पहले ही केशुभाई पटेल कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए गए थे, हालांकि उन्होंने कोरोना को मात दे दी थी। राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने केशुभाई पटेल के परिवार से बात की और दुख व्यक्त किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी केशुभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी। केशुभाई पटेल के बेटे के मुताबिक, कोरोना को मात देने के बाद भी उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। लेकिन गुरुवार सुबह सांस लेने में तकलीफ के बाद जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तब इलाज में उन्होंने कोई रिस्पॉन्ड नहीं किया था।

दोनों बार मुख्यमंत्री का टर्म पूरा नहीं कर पाए

केशुभाई तख्तापलट के चलते दोनों बार भी मुख्यमंत्री का टर्म पूरा नहीं कर पाए। वो 1995 और 1998 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन 2001 में उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने CM पद की शपथ ली। मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु भी मानते हैं। प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने कहा भी था कि सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। वे भाजपा का रथ हांकने वाले सारथी हैं। इसके अलावा केशुभाई पटेल गुजरात के उपमुख्यमंत्री का भी पद संभाल चुके हैं।

राजनीतिक सफर

केशुभाई पटेल का जन्म जूनागढ़ में 24 जुलाई 1928 को हुआ था, काफी कम उम्र में ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ज्वाइन कर लिया था। जिसके बाद जनसंघ और फिर बीजेपी के साथ लंबे वक्त तक रहे। केशुभाई पटेल की गिनती गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में होती रही है, जिन्होंने जनसंघ के वक्त से ही पार्टी के लिए काम किया था। 1960 के दशक में केशुभाई पटेल ने जनसंघ कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी। वह इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। 1975 में, जनसंघ-कांग्रेस (ओ) गठबंधन गुजरात में सत्ता में आई। आपातकाल के बाद 1977 में केशुभाई पटेल राजकोट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे। 1979 में मच्छू बांध दुर्घटना, जिसने मोरबी को तबाह कर दिया था, के बाद उन्हें राहत कार्य में शामिल किया गया था।

केशुभाई पटेल 1978 और 1995 के बीच कलावाड़, गोंडल और विशावादार से विधानसभा चुनाव जीते। 1980 में, जब जनसंघ पार्टी को भंग कर दिया गया तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ आयोजक बने। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ चुनाव अभियान का आयोजन किया और उनके नेतृत्व में 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी।

बीजेपी में अनबन होने के कारण केशुभाई पटेल ने 2012 में अपनी नई पार्टी बनाई थी, जिसका नाम गुजरात परिवर्तन पार्टी रखा था। हालांकि, 2014 में केशुभाई पटेल ने अपनी पार्टी का विलय फिर से बीजेपी में कर दिया था।